जोहार छत्तीसगढ़-बलौदाबाजार।
जहां एक ओर भाजपा की सरकार बनी तो वही किसानों में रुके हुए बोनस राशि मिलने की उम्मीदे दोगुने रप्तार से बढऩे लगी किन्तु जिले के राजस्व और कृषि शाख समिति तथा उनके बैंक के कार्यप्रणाली से जिले के किसान खाशा निराश नजर आ रहे हंै नाना प्रकार के दस्तावेजी एवं विभागों चक्रिय प्रक्रिया से किसान नहीं उबर नहीं पा रहे है जीत के पश्चात भाजपा सरकार ने अपने वादों को पूरा करने लगी। जिसमें 2 साल का बकाया बोनस भी किसानों को देना है। जिसे सरकार ने अपने वादानुसार किसानों के खातों में 25 दिसम्बर 2023 को अंतरित कर दिया है परन्तु क़ृषि शाख समितियों एवं तहसीलों के सुस्त रवैये के चलते किसान दर-दर भटकने को मजबूर हैं। जबकि प्रदेश सरकार का सख्त आदेश है कि बोनस का कार्य प्राथमिकता पूर्वक किया जाए जिसमें लापरवाही बर्दाश्त नही की जाएगी। इसके बावजूद अधिकारी कर्मचारी सुस्त,निष्क्रिय और बिना रकम के काम करने में अक्षम साबित हो रहें हैं जिससे किसानों में बेहद नराजगी नजर आ रही है। किसानों में बोनस नहीं प्राप्त होने के मुख्य कारण फ ौत प्रकरण एवं आईएफ सीआई परिवर्तन है।
खरीफ 2014-15 आंकड़े
जिले में 21 हजार से ज्यादा बोनस प्रकरण लंबित है। बलौदाबाजार भाटापारा जिले मे खरीफ 2014.15 मे धान बेचने वाले किसानो की संख्या 1 लाख 5सौ ब्यान्वबे थी जिसमे किसानो ने 53 लाख 7 सौ सोलह क्विंटल धान बेचे।कूल किसानो मे 21हजार 8 सौ तेरह किसानो को बोनस राशि अप्राप्त है
क्या है प्रक्रिया
किसानो को बोनस की राशि प्राप्त करने के लिए दस्तावेज जैसे टोकन पंजीयन, शपथ,सहमति,बैंक पासबुक,आधार कार्ड एवं तहसीलदार के नाम से आवेदन। आवेदन मे समिति प्रबंधक एवं पटवारी के हस्ताक्षर तत्पश्चात तहसीलदार के आईडी से वेरिफिकेशन होने के बाद एनआईसी जांच के बाद ही राशि सम्बंधित के खाते मे पहुंचेगी।
बोनस राशि में किसानों को क्या-क्या हो रही समस्या
कहा जाता है कि जब सरकार कोई भी योजना लाती है तो उनका प्राथमिकता होती है कि वह योजना अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे लेकिन अभी की स्थिति यह बन गयी है कि अंतिम व्यक्ति से नौकरशाही द्वारा कैसे पैसे लिए जाये। यही स्थिति अभी बोनस प्रकरण मे परिलक्षित हो रही है। हमारे संवाददाता द्वारा ज़ब खबर संकलन करते समय किसानो को हो रहे समस्या से चर्चा के दौरान पता चला कि सहमति एवं शपथ के लिए 7 सौ रूपये फ ार्म जमा करने के लिए क़ृषि शाख समिति को हजार रूपए उनके बाद तहसील मे फइल बढ़ाने के लिए हजार दो हजार रूपये बैंक से पैसे निकालने के लिए पैसे और किसी अन्य प्रकार के समस्या हो गयी तो उनके लिए अलग से अप्रत्यक्ष शुल्क राशि दी जाती है जिनकी जानकारी संभवत जिला प्रशासन हो नहीं होती है। जानकर सूत्रों के मुताबिक ब्लॉक,तहसील सहित हर कार्यालयों में बिना भेंट की तो फ ाइल टस से मस नहीं होती। कोई किसान हो या आम जनता सबको यहां बाबुओं को बिना चढ़ोतरी के काम नहीं होता। अब बोनस की बात करें तो यहां भी भारी लापरवाही देखने को मिल रही है।तहसील में अधिकारी मिलते नहीं पूरा काम बाबूओं के भरोसे चल रहे हैं और बाबूओं तो बिना रकम की बात ही नहीं करते पैसे देने के बाद भी कई किसानों के खाते में न बोनस की राशि पहुंची है न अब तक वारिसान धान पंजीयन किया गया है जिससे क्षेत्र के किसानों में आक्रोश व्याप्त हैं। सैकड़ों किसान अपने बोनस की रकम पाने दर दर की ठोंकरें खाने मजबूर हैं कईयों किसानों के काम अटके पड़े हैं किसी का वारिसान पंजीयन नहीं हुआ है तो काफ ी लोगों का धान बिक गया है लेकिन खाते तक रकम नहीं पहुंची है।बताया जा रहा है सहकारी बैंक से खाता नंबर में बदलाव हुआ था। वही बहुत से किसान जिनकी फ ौत हो चुकी है जिससे शपथ के साथ आवेदन करने के बावजूद किसानों के खातों में बोनस की राशि नही पहुंच पा रही है जिससे किसानों को भटकना पड़ रहा है। किसान कभी बैंक के चक्कर काट रहे कभी सोसायटी तो कभी तहसील कार्यालय के बावजूद इन विभागों के सुस्त रवैये के चलते सैकड़ों किसानों को अब तक बोनस की राशि अप्राप्त है। * जमीन की खरीदी बिक्री के वजह से हो सकता है बोनस लंबित मामले में ज्यादा हो या फि र कोई अन्य वजह होंगी तो तत्काल विधिवत कार्यवाही की जाएगी।
टंक राम वर्मा,राजस्व एवं खेल युवा कल्याण मंत्री छ.ग.