जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़। विकासखंड धरमजयगढ़ क्षेत्र में भूमाफियाओं द्वारा तरह तरह के कारनामे किए जाते हैं। जिसमें कई मामले थाने तक पहुंच जाती है तो कई मामले सेटिंग कर रफा दफा कर दी जाती है। अभी भूमाफियाओं का एक और बड़ा कारनामा सामने आया है। जिसमें 10 साल पहले मृत व्यक्ति की जमीन को सांठगांठ कर बेच दिया गया है। यह मामला कापू तहसील क्षेत्र के ग्राम रुआफुल की है। जहां 10 साल पहले मृत हो चुके कांशीराम पिता ठाकुर के बदले किसी दूसरे व्यक्ति को खड़े कर उनकी जमीन खसरा नंबर 124/1 रकबा 1.2000 हेक्टेयर भूमि को रजिस्ट्री कर दी गई। बता दें कि कांशीराम का बेटा दिवाली राम का भी फौत हो चुका है। इस जमीन बिक्री में क्रेता चमेली सिदार पति भानुप्रताप ग्राम गेरवानी तहसील रायगढ़ की निवासी है। चमेली सिदार भाजपा नेत्री एवं ग्राम पंचायत गेरवानी की सरपंच है। वहीं रजिस्ट्री में पहला गवाह मनमोहन राठिया पिता महेत्तर राठिया ग्राम सिथरा का निवासी है। वहीं दूसरा गवाह सुरेश अग्रवाल पिता दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ग्राम गेरवानी निवासी है। जमीन रजिस्ट्री में जो विक्रेता का मोबाइल नंबर दर्ज किया गया है। वह रोहित दास महंत के नाम पर है। जो ऐसे ही एक और फर्जी तरीके से जमीन रजिस्ट्री के केस का कथित मास्टर माइंड था, और उस मामले में कुछ दिन पहले ही जेल की हवा खा कर आया है। इस मामले में भी उसका मोबाइल नंबर आना फिर संदेह बन गया है। जमीन रजिस्ट्री के बाद जब नामांतरण के लिए आवेदन लगा तब मृतक कांशीराम के पौत्र श्रवण एवं महेश को पता चला। अपने पुरखौती जमीन की बिक्री की बात सुनकर उनके होश उड़ गए। तब उन्होंने भागदौड़ शुरू की। लेकिन इसकी भनक क्रेता चमेली सिदार को हो गई और उनके द्वारा कथित तौर पर पीड़ित पक्ष से मिलकर समझौता किए जाने की बात सामने आ रही है।
क्या कहते हैं जमीन रजिस्ट्री में गवाह मनमोहन राठिया
इस मामले में जब गवाह मनमोहन राठिया से बात की गई तो उन्होंने बताया कि देवनाथ चौहान उसे बुलाकर ले गया और वहां आधार कार्ड मांग कर गवाही में हस्ताक्षर कराया है। मुझे जमीन खरीद बिक्री की जानकारी नहीं थी। मनमोहन ने बताया कि देवनाथ चौहान जमीन खरीद बिक्री में दलाली का काम करता है। जो कोसमघाट निवासी जमीन दलाली करने वाले रोहित कुमार महंत से सांठगांठ कर जमीन को बेचे हैं।
मामले में तहसीलदार कापू क्या कहते हैं ?
इस गंभीर मामले में तहसीलदार कापू उज्जवल पांडेय ने बताया कि उक्त भूमि का नामांतरण के लिए आवेदन प्राप्त हुआ था। जब पता चला की रजिस्ट्री में फर्जीवाड़ा हुई है तो नामांतरण पर रोक लगा दी गई है। वहीं संबंधित को नोटिस जारी किया गया है।