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राजस्व,पुलिस, व वन विभाग की सह पर चल रहा अवैध रेत कारोबार, मजदूरों की व्यवस्था में कारिछापर सरंपच पति की रहती बड़ी भूमिका , नाबालिग ट्रैक्टर ड्राइवरों के हाथ स्टेरिंग, मुकदर्शक बनकर मुंह ताकती पुलिस

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जोहार छत्तीसगढ़-घरघोड़ा।
घरघोड़ा खनिज संपदा की प्रचुरता वाला क्षेत्र घने जंगल वन संपदा की भरमार इस क्षेत्र में उद्योग व खदान के कारण यहां बेसुमार पैसा दिखाई देता है। इस कारण यहां आबादी बहुत तेजी से बढ़ रही है। बाहर से लोगों का लगातार आना बना हुआ है। अच्छी काम कमाई के कारण स्थानीय निवासियों से अधिक बाहर के लोग दिखाई देते हैं। इसी चका चौंध में अवैध धंधे भी खुब फल-फूल रहा है। वन संपदा की अवैध कारोबार के कारण पर्यावरण नष्ट हो रही है। लगातार रेत चोरी से छोटी नदियों का अस्तित्व खतरे में है, शासन के मुलाजिम भी इस खेल में बढ़ चढ़ का हिस्सेदार बन रहें हैं, जिसके कारण निरंतर रेत का अवैध खनन कर बेचा जा रहा है, घरघोड़ा राजस्व व वन परिक्षेत्र बैहामुड़ा बहिरकेला कारी छापर कुडूमकेला क्षेत्र से बहने वाली कुरकुट नदी से बेतहाशा अवैध बालू उत्खनन कर प्लांटों व निजी उपयोग करने वालों को उच्चतम मुल्य पर अनाप शनाप दरों पर विक्रय किया जा रहा है। जिसके कारण इस अवैध कारोबार में संघर्ष होने लगी है। चिल्हर धंधा समझने वाले धनाढ्य वर्ग भी अब बालू के कार्य में उतर चुके हैं जिसके कारण इस रेत के खेल में माफि या राज आरंभ हो गया हैए जिसमें घरघोड़ा क्षेत्र के नाबालिग बच्चों को ट्रेक्टर का स्टेरिंग देने में माफि याओं को कोई डर भय नहीं रहा। अवैध खनन कर बालू चोरी करने वाले इन चोरों के हौसले बुलंद इस लिए है कि शासन प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहें। इस कारण जब नाबालिग बच्चे की ट्रेक्टर पलटने से मौत हुई तब भी कोई मामला नहीं बनाए सिर्फ मामुली दुर्घटना बताकर रफ ा-दफ ा कर दिया गया। जबकि खुलेआम दिन के उजाले में बालू चोरी का खेल बेखौफ खेला जा रहा है। चंद रूपयों की लालच देकर भोले भाले आदिवासी ग्रामीणों को इस खेल में संलिप्त कर उनका शोषण किया जा रहा, उनके बच्चों से ट्रेक्टर जैसे भारी वाहन को चलवाया जा रहा है फि र प्रशासन पुलिस देख कर अनदेखा कर रही है कभी किसी तरह का जांच नहीं होने से अवैध कारोबार खुब फ ल-फ ूल रहा है। आदिवासी अंचल होने के कारण बालू माफि याओं का पहली पसंद यह क्षेत्र बन गया है। आदिवासी ग्रामीणों को गुमराह कर पैसों की लालच देकर उनसे बालू भरने का कार्य लिया जाता हैए जबकि भोले भाले आदिवासी ग्रामीण को यह पता नहीं है आने वाले भविष्य में खुद का कितना नुकसान होगा गांव से जुड़ी नदी पर्यावरण व फ सल के लिए वरदान है। अवैध रूप से बालू खनन कर बेहिसाब उत्खनन के कारण वह नदी सुख जायेगी और बरसात के दिनों में भूमि का कटाव बढऩे से नदी पटने लगेगी। आस पास का पानी का जल स्तर कम होने लगेगा इस कारण नदियों को संरक्षित करने के लिए भारी संख्या में नदी किनारे पेड़ लगाये जाते हैं। ग्रामीण अंचल के निवासी सरकारी कार्यप्रणाली से अनभिज्ञ होने के कारण उन्हें पता नहीं है जो बालू अवैध रूप से खनन कर बालू माफि या बेच रहे वह रूपए असल में उन्हीं ग्रामीणों का हक का है जो माफि या अपने जेबे भर रहें हैं। यह वनांचल क्षेत्र के हर खनिज संपदा पर स्थानीय निवासियों का पहला अधिकार होता हैए जिसके कारण यहां से होने वाले आय का अधिकांश हिस्सा इस क्षेत्र के जनता के हितों के लिए खर्च कर विकास कार्य किया जाता है। बालू की रायल्टी से ग्राम पंचायत की बहुत आय होती है वहीं रूपए उसी ग्राम पंचायत के विकास में उपयोग किया जाता है।

  • घरघोड़ा एसडीएम ऋ षा सिंह से जब इस विषय पर मोबाइल से संपर्क कर सवाल पुछा गया तो उनका कहना था। अभी मेरे पास इसकी कोई जानकारी नहीं है अगर रेत का अवैध खनन कर चोरी हो रही है तो यह गंभीर विषय है इसकी जांच करायेंगे चोरी करते पाये जाने पर कठोर कार्रवाई किया जायेगा।
    एसडीएम,घरघोड़ा

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