जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
धरमजयगढ़ वन मंडल कार्यालय से कुछ ही किलोमीटर की दूर पर सैकड़ों एकड़ जंगल को पूरी तरह साफ कर दिया गया है, और वन विभाग को हवा तक नहीं लगा। ऐसा लगता है कि वन रक्षक, डिप्टी रेंजर से लेकर वन विभाग के सभी अधिकारी सोते रहे और ग्रामीणों द्वारा जंगल को कब्जा करने के लिए सैकड़ों एकड़ जंगल को काट दिया गया है। मुख्य सड़क किनारे सैकड़ों एकड़ लगे बड़े -बड़े पेड़ों को काट दिया जाना और वन विभाग को इसकी जानकारी नहीं हो ये समझ से परे हैं। ऐसे भी धरमजयगढ़ वन मंडल हमेशा घोटाले बाजी को लेकर सुर्खियों में बना ही रहता है। मृत आदमी के नाम से मजदूरी करवाना, बिना प्लांटेशन लगाये ही बिन का भुगतान आहरण कर लेना, तो वन भूमि के नाम पर पूरी की पूरी जंगल साफ करवा देना ये तो धरमजयगढ़ वन मंडल में आम बात है। आज हम बात कर रहे हैं धरमजयगढ़ वन मंडल के धरमजयगढ़ रेंज का इस रेंज के कोयलार बीट में सैकड़ों एकड़ जंगल को ग्रामीणों द्वारा पूरी तरह पेड़ों को कांटकर साफ कर दिया है, और वन विभाग चुपचाप तमाशा देखता रहा। इतने अधिक मात्रा में जंगल को काटना एक दिन या एक रात का काम नहीं है। इस जंगल को काटने के लिए कई दिन कई महिने लगे होंगे लेकिन इतने दिन में एक दिन भी वन विभाग के अधिकारी या कर्मचारी को दिखाई नहीं दिया कि जंगल से पेड़ों की कटाई हो रही है। क्या वन विभाग के बीड गार्ड, डिप्टी रेंजर कभी जंगल देखने अपने बीट में नहीं जाते हैं या फिर सब कुछ इनके इशारे पर हुआ है। वन विभाग के मिली भगत के बिना इतने अधिक मात्रा में वनों की कटाई नहीं हो सकता है। सैकड़ों नहीं हजारों पेड़ कांट दिया जा रहा है और वन रक्षक या उनके अधिकारी को जानकारी नहीं होना ये बात किसी को हजम नहीं हो रहा है। इतने अधिक मात्रा में वनों की कटाई के बारे में संबंधित रेंजर से पूछने पर उनके द्वारा बताया जाता है कि इस संबंध में एसडीओ साहब कुछ भी बताने को मना किया है। मैं आप लोगों को इस संबंध में कुछ नहीं बोल सकता हूं आप लोग एसडीओ साहब से ही पूछ लीजिए इसके बातों से तो ऐसा लगता है कि सैकड़ों एकड़ जंगल की कटाई में इनका पूरा-पूरा हाथ है।
मेरे उच्च अधिकारियों को पेड़ कटाई की जानकारी मेरे द्वारा दे दिया गया-श्रवण सिदार
जब सैकड़ों एकड़ जंगल की कटाई के बारे में बीर्ड गार्ड श्रवण सिदार से जानकारी ली गई तो उन्होंने फोन पर बताया कि मेरे को इसकी जानकारी है वहां जाने से ग्रामीणों द्वारा गाली-गलौज व मारपीट करने की बात करते हैं। ग्रामीणों द्वारा की जा रही जंगल कटाई की खबर अपने उच्च अधिकारियों को दे दिया है। अब आगे अधिकारी ही बता पायेंगे कार्यवाही क्यों नहीं कर रहे हैं।
वन विभाग का नहीं राजस्व की भूमि है- अमित रोशन किस्पोट्टा
हमारे द्वारा जब रेंजर किस्पोट्टा से इस संबंध में बात किया गया तो उन्होंने बताया कि हां जगंल की कटाई तो हुआ है पर जिस जगह ग्रामीणों ने पेड़ों की कटाई किया है वह भूमि वन विभाग का नहीं है राजस्व का है। अब सवाल उठता है कि जब भूमि राजस्व का है तो फिर वन विभाग 10 एकड़ में सागौन का पौधा क्यों लगाया है, और जब जंगल वन विभाग का है ही नहीं तो फिर वन विभाग राजस्व की भूमि पर सीपीटी गड्ढा क्यों खोदा है। और सबसे अहम बात है कि क्या वन भूमि पर लगे हजारों पेड़ों की कटाई वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों के सामने कटता रहा है और वन विभाग तमाशा क्यों देखता रहा क्या ये सही है।