जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
सूर्य उपासना का पर्व छठ पूजा संपन्न हुआ। उदीयमान सूर्य को अध्र्य देकर व्रतियों ने उपवास पूरा किया। धरमजयगढ़ के व्रतियों ने मांड नदी में सूर्य को अध्र्य दिया। भोर में ही सभी घाट पहुंचकर पूजा अर्चना शुरू कर दिए थे। नगर पंचायत उपाध्यक्ष टारजन भारती ने भी अध्र्य देकर क्षेत्र की खुशहाली के लिए आशीर्वाद मांगा। छठ पूजा का पहला अघ्र्य 30 अक्टूबर को डूबते हुए सूर्य को दिया गया था। छठ पूजा का चार दिवसीय त्योहार नहाय खाय और खरना के साथ शुरू होता है। बता दें कि 28 अक्टूबर को छठ पूजा का नहाय खाय हुआ था। जबकि छठ पर्व का खरना पूजा 29 अक्टूबर को, 30 अक्टूबर को संध्याकालीन अघ्र्य दिया गया। वहीं छठ पूजा के अंतिम दिन 31 अक्टूबर को सुबह में उदीयमान सूर्य को अघ्र्य दिया गया। भक्त बहुत धूमधाम से इस त्योहार को मनाते हैं। छठ पूजा, जिसे सूर्य षष्ठी, छठ, छठ पर्व, दल पूजा, प्रतिहार और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह भगवान सूर्य को समर्पित है। वेदों में सूर्य देव ऊर्जा और जीवन शक्ति के देवता माने गए है। महिलाएं छठ के दौरान कठोर उपवास रखती हैं। और अपने परिवार और बच्चों की भलाई, समृद्धि और प्रगति के लिए भगवान सूर्य और छठी मैया से प्रार्थना करती हैं। नगर पंचायत धरमजयगढ़ द्वारा पहली बार छठ घाट में लाइट एवं टेंट की व्यवस्था की गई थी। जिससे श्रद्धालुओं को पूजा करने में सुविधा मिली।