जोहार छत्तीसगढ़- धरमजयगढ़।
तीज त्यौहार के अवसर पर महिलाएं उपवास रखकर पूजा अर्चना की। धरमजयगढ़ क्षेत्र में भी अनेक स्थानों पर व्रती महिलाएं एक साथ मिलकर पूजा अर्चना किए। अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त करने के लिए सुहागिन महिलाएं तीज व्रत रखती हैं। सुहागिन महिलाओं के लिए तीज के त्योहार का विशेष महत्व है। इस तीज में महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं। तीज की शाम के समय महिलाएं श्रृंगार करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय की पूजा करती हैं। पुराणों में कहा गया है कि तीज व्रत रखने और पूजा करने से सौभाग्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।यह एक प्रसिद्ध एवं महत्वपूर्ण व्रत है। इस व्रत को सुहागिन स्त्रियों के अतिरिक्त कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं। मान्यता है कि इस व्रत के शुभ प्रभाव से कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को करने से सभी सुहागिन स्त्रियों को भगवान शिव एवं माता गौरी की कृपा से सौभाग्यवती होने का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। व्रत करने वाली महिलाएं रात को जागरण करके दूसरे दिन सुबह पूजा अर्चना कर व्रत को तोड़ती हैं। पहले महिलाएं तीज का उपवास अपने मायके में रखती थी।