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गरीबी मुक्त गांव खलबोरा तक नहीं पहुंचा सड़क, राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र बिरहोर विशेष पिछड़ी जनजाति का गांव

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जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
एक तरफ देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो दूसरी तरफ गांवों तक सड़क नहीं पहुंच सका है। ऐसे में विकास की कल्पना करना कोरी कल्पना होगी। धरमजयगढ़ विकासखंड में एक ऐसा गांव जिसकी चर्चा पूरे जिले ही नहीं अपितु प्रदेश तक होती है। लेकिन उस गांव तक पहुंचने के लिए अभी तक कच्ची सड़क नहीं बन पाया है। शासन उस गांव को गरीबी मुक्त गांव बनाने करोड़ों रुपये खर्च कर चुकी है। लेकिन आज भी वहां के ग्रामीण सड़क के लिए तरस रहे हैं। हम बात कर रहे हैं ग्राम पंचायत दर्रीडीह के आश्रित ग्राम खलबोरा कीए जहां राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहलाने वाले बिरहोर विशेष पिछड़ी जनजाति के लोग निवासरत हैं। जिनके अलावा महाकुलए राउतए मांझीए अगरिया जाति के लोग भी रहते हैं। इस गांव को बसे पांच दशक से ज्यादा हो गया है। लेकिन वर्षों बीत जाने के बाद भी आज तक इस गांव में सड़क नहीं पहुंच पाया। जबकि इस गांव में जिले के कई कलेक्टर अनेकों बार पहुंच चुके हैं। गांव के ग्रामीण कई दशकों से सड़क की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। अंततरू मनरेगा के तहत मिट्टी मुरुम कच्ची सड़क की स्वीकृति मिली। जिसका कार्य एजेंसी वन विभाग को बनाया गया है। वन विभाग पिछले दो साल से इस कच्ची सड़क को पूरा नहीं कर सका है। जिससे विभाग की लापरवाही साफ झलकती है। पिछले साल मशीन से मिट्टी का काम किया गया था। वहीं लगभग 4 सौ ट्रिप मुरुम भी गिरा दिया गया है। लेकिन अभी तक उसे फैलाया नहीं गया है। बता दें कि मिट्टी डालने के बाद उसमें रोलर मशीन चलाना था। लेकिन भ्रष्ट विभाग बिना रोलर मशीन चलायेए मुख्यमंत्री आने की खबर सुनकर मुरुम बिछाना शुरू कर दिया था। लेकिन मुख्यमंत्री के आने का कार्यक्रम स्थगित होने से काम भी स्थगित हो गया। जिससे ग्रामीणों की उम्मीद पर फिर पानी फि र गया। ग्रामीणों का कहना है कि बिना पहुंच मार्ग के बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। पगडंडी रास्ता था तब कम से कम आनाजाना हो जाता था लेकिन मुरुम का ढेर लगा देने के कारण आने जाने में और परेशानी हो रही है। शासन को जल्द से जल्द इस कार्य को पूरा करना चाहिए। बता दें कि खलबोरा जाने के लिए ओंगना गांव तरफ से कई किलोमीटर घूमकर जाना पड़ता है। जो हाथी प्रभावित जंगली रास्ता है। लेकिन ग्रामीण जान हथेली पर रख के जाने को मजबूर हैं। हम आपको बता दे कि अधिकारियों द्वारा ब्लॉक मुख्यालय से चंद किलोमीटर दूरी पर बसा ग्राम खलबोरा में मुख्यामंत्री को हेलीकॉप्टर से ले जाने का कार्यक्रम तय किया था। अब आप खुद सोच सकते हैं कि खलबोरा जाने मुख्यमंत्री को हेलीकॉप्टर से क्यों ले जाने का प्लान बनाया गया था। क्योंकि खलबोरा जाने के लिए सड़क की सुविधा नहीं है।

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