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बनाना ही नहीं था तो क्यों तोड़ दिए पुलिया को, ठेकेदार द्वारा पिछले साल तोड़ा गया पुलिया अभी तक नहीं बना, बरसात में आवागमन बाधित होने से ग्रामीण होंगे परेशान

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जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।

जब पुलिया को बनाना ही नहीं था तो ठेकेदार ने क्यों तोड़ दिया। पिछले बरसात में उस मार्ग में आवागमन बाधित था। जिस कारण क्षेत्रवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ा था। इस बार फि र बरसात शुरू हो गई लेकिन पुलिया टूटा ही पड़ा है। पता नहीं कब ठेकेदार पुलिया को बनाएगा। बात कर रहे हैं धरमजयगढ़ से कापू मार्ग पर मिरिगुड़ा के पास में बनने वाला पुलिया की। जहां पहले से पुलिया बना हुआ था। लेकिन नए सड़क निर्माण की स्वीकृति मिलने पर ठेकेदार द्वारा उसे तोड़ दिया गया। जिस पर नए पुलिया के निर्माण किया जाना है। पिछले साल पुलिया को तोड़कर बगल में परिवर्तित मार्ग बना दिया गया था जो पहली बारिश में ही बह गया। जिससे उस क्षेत्र के लोगों का बरसात के दिनों में धरमजयगढ़ से संपर्क टूट सा गया था। लोगों को उम्मीद थी कि इस बार बरसात से पहले उस पुलिया का निर्माण हो जाएगा। लेकिन क्या वह तो जस का तस पड़ा हुआ है। फि र से बगल में परिवर्तित मार्ग बना दिया गया है। जो फि र लोगों को परेशानी में डालने वाला है। ठेकेदार का काम तो नौ दिन चले अढ़ाई कोस जैसे मुहावरे को भी मात दे रहा है। बता दें कि धरमजयगढ़ से कापू मार्ग छत्तीसगढ़ राज्य सड़क क्षेत्र परियोजना एडीबी प्रोजेक्ट के तहत स्वीकृति हुआ है। जो लोक निर्माण विभाग के मार्गदर्शन में निर्माण किया जा रहा है। जिसका ठेका मे. एस के एल एल पी एस बी ई पी एल जे व्ही को मिला है। निर्माण कार्य का आदेश 24 जुलाई 2020 को हुआ था। जिसका कार्य अवधि 20 माह था। यह मार्ग की दूरी 32.596 किलोमीटर है, जिसका लागत 94.79 करोड़ रुपये है। लेकिन अवधि से 4 माह अधिक का समय बीत जाने के बाद भी कार्य अधूरा है।


धरमजयगढ़ आगमन पर मुख्यमंत्री से शिकायत करने की तैयारी


पिछले साल कई महीनों तक मुख्यालय से टूटने वाले ग्रामीण मुख्यमंत्री के आगमन के इंतजार में बैठे हैं। क्योंकि निचले स्तर के अधिकारियों को कई बार शिकायत किया जा चुका है, वहीं स्वयं अधिकारी उस मार्ग के बारे में जानते हैं। लेकिन समाधान नहीं करते। इसलिए ग्रामीणों के लिए अच्छा मौका होगा कि मुख्यमंत्री का खम्हार आगमन हो रहा है। जहां क्षेत्रवासियों की पहली शिकायत सड़क एवं पुलिया निर्माण में हो रही देरी के संबंध में होगी।


मुआवजा को लेकर भूमिस्वामी मुख्यमंत्री से करेंगे शिकायत


मजेदार बात तो यह है कि इस मार्ग के लिए जनसुनवाई एवं ग्राम सभा की कार्यवाही पूर्ण नहीं हुआ है। जिस कारण से प्रभावित भूमि स्वामियों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। कम्पनी भोले भाले आदिवासियों को गुमराह कर फ र्जी तरीके से कागजों में जनसुनवाई एवं ग्राम सभा की कोरम पूरा करने में लगा है। जिसमें कुछ शासकीय कर्मचारियों की संलिप्तता है। जब कागजी कार्यवाही पूरा नहीं हुआ तो किस आधार पर निर्माण कार्य किया जा रहा है। जो सीधे शब्दों में कहें तो आदिवासियों के साथ अन्याय हो रहा है। अब देखते हैं कि मुख्यमंत्री से शिकायत के बाद क्या किसानों को न्याय मिल 

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