जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
ओपी चौधरी एक आईएएस आफिसर था। लेकिन वो अभी काफ ी चर्चा में है। इनका जन्म 2 जून 1981 को अविभाजित मध्यप्रदेश के रायगढ़ जिला के बायंग गांव में हुआ है। इनके पिता की मृत्यु इनके बाल्यकाल जब ये 8 वर्ष के थे तभी हो गया था। इतने कम उम्र में पिता का सर से साया उठ जाने से इनका जीवन बहुत ही तनाव भरा रहा है। ऐसे विषम प्रस्थितियों में भी अपनी मां की आशीर्वाद से विद्यार्थी जीवन को पूरा किया। सबसे कम उम्र में यूपीएससी की परीक्षा पास कर एक कलेक्टर बने। और सरकारों के सिस्टम को समझा और सिस्टम को बदलने के उद्देश्य से राजनीति की ओर ध्यान दिया। इन्होंने कलेक्टर जैसे पद से इस्तीफ ा देकर भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर लिया। भारतीय जनता पार्टी ने इन्हें खरसिया विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा। कांग्रेस के अभेद्य गढ़ से भले ही चुनाव हार गए लेकिन अपनी क्षमता और जीवटता से सबको अवगत करा दिया। जिस प्रकार कांग्रेस ने लोक लुभावन वायदे किए थे ऐसी परिस्थिति में खरसिया से लाखों वोटों से भाजपा हारती लेकिन ओपी चौधरी की कुशल रणनीति और लोकप्रियता के वजह से महज सतरह हजार मतों से कांग्रेस सीट जीती। चुनाव हारने के बाद भी ओपी चौधरी का जज्बा कम नहीं हुआ वे लगातार सरकार के खिलाफ आवाज उठाते हुए सड़क से सदन तक की लड़ाई लड़ रहा है। भूपेश सरकार के खिलाफ कोई भी आन्दोलन हो उनके अगुवाई में हर आंदोलन सफ ल हुआ है। स्वर्गीय युवा ह्रदय सम्राट, हिन्दू कूलतिलक दिलीप सिंह जूदेव के बाद भाजपा में ओपी चौधरी ही एक ऐसा नाम है जिसकी ओर हर वर्ग आकर्षित होता है। आने वाले समय में पूरे प्रदेश में ओपी चौधरी के नेतृत्व में पार्टी मजबूती से आगे बढ़ेगी। गुटबाजी और तेरा मेरा को छोड़, वरिष्ठों के आशिर्वाद से बड़ों का मार्गदर्शन लेकर युवाओं, माता बहनों को जोड़ते हुए गट में रहकर आगे की लड़ाई लडऩे की आवश्यकता है। दो जून को जन्म लेने वाला व्यक्ति ओपी चौधरी सबके लिए दो जून की रोटी का व्यवस्था कर रहा है और आगामी भाजपा सरकार बनी तो और अच्छे से कर सकता है। आज लगभग हर जरूरतमन्द लोगों के साथी बन चुके हैं। आज जन्मदिन,धरा अवतरण दिवस पर भाजपा प्रदेश किसान मोर्चा सदस्य टीकाराम पटेल की ओर से बहुत-बहुत बधाई एवं उज्जवल राजनीतिक भविष्य सुखद दांपत्य जीवन खुशहाल एवं दीर्घायु जीवन की अनेकानेक शुभकामनाएं।