जोहार छत्तीसगढ़-लैलूंगा।
जंगल से घिरे लैलूंगा के ग्राम सोनाजोरी में बीती रात 22 हाथियों ने उत्पात मचाते हुए न केवल 3 मकान और आंगनबाड़ी भवन को ध्वस्त किया, बल्कि किसानों की खेतों में सब्जी की फसल को भी रौंद डाला। यही कारण है कि अतिकायों की चिंघाड़ से सहमे ग्रामीण दिन ढलते ही अपने घरों में दुबकने पर मजबूर हैं।
धरमजयगढ़ वनमण्डल में तबाही की नई ईबारत लिख रहे गजराजों ने अब लैलूंगा में भी दहशत का पर्याय बनने लगे हैं। बताया जाता है कि सरहदी जिले जशपुर से लैलूंगा इलाके में आए 22 हाथियों के दल ने धनई कुटरी जंगल में डेरा डाल रखा है। इन्हीं विशालकाय वन्यप्राणियों ने बीती रात चहुंओर जंगल से घिरे ग्राम सोनाजोरी में धावा बोला और नंदू साय, देवनाथ तथा मंगलू राम के मकान को इस कदर क्षतिग्रस्त किया कि आधी रात को इनको अपने घर से भागकर रिश्तेदारों के यहां शरण लेनी पड़ी। 3 ग्रामीणों को बेघरबार करने वाले हाथियों ने गांव के आंगनबाड़ी भवन को भी नहीं बख्शा और उसे भी ध्वस्त कर दिया। इस बीच भूख-प्यास मिटाने की कवायद में अतिकायों ने जाते-जाते किसानों की खेत में सब्जी की फसल को भी तबाह कर दिया। ग्रामीणों के मुताबिक गजराजों का झुंड इसके पहले भी खेतों में घुसपैठ कर चुके हैं। चूंकि, अब तक 25 से 30 एकड़ खेत की साग-भाजी को रौंद चुके हैं। ऐसे में किसानों की रातों की नींद इस आतंकी हाथियों की हरकतों ने उड़ा रखा है कि न जाने आज रात क्या हो जाए, लिहाजा डर के साए में मजबूरन जी रहे ग्रामीणों ने वन विभाग को इसकी सूचना देते हुए राहत और बचाव कार्य की मांग भी की है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार लैलूंगा इलाके में पहले रोज जशपुर से पहले 40 हाथियों का दल विचरण करते हुए आया। दूसरे दिन इसी झुंड के 25 हाथी वापस जशपुर चले गए तो 15 ही यहां रह गए थे। अब जशपुर से फिर 7 हाथी लैलूंगा आए, तबसे रिहायशी इलाकों में इनका उत्पात शुरू हो गया। बताते हैं कि 22 अतिकायों में 11 के अभी बाकारूमा के जामवीरा में रहने का लोकेशन है, जिनमें 7 शावक भी शामिल है। गौरतलब है कि धरमजयगढ़ वनमण्डल में 48 हाथियों के विचरने की पुष्टि वन महकमा कर चुका है। वहीं, अब जशपुर से गजराजों की आवाजाही होने से वन अमला भी बेहद अलर्ट होकर उनकी गतिविधियों पर निगरानी रखे हुए है।