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हड़ताली कर्मचारियों की मांग पूरी नही करने पर डीन की गाड़ी के सामने लेट गए सिम्स के पूर्व संविदा कर्मचारी

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बिलासपुर । वर्ष 13-14 में सिम्स में हुई फर्जी भर्ती की जांच पूरी नही हो जाती तब तक हड़ताली कर्मचारियों की मांगें पूरी न कि जाए और बनाई गई जांच कमेटी को तत्काल भंग करने की मांग करते हुए आक्रोश व्यक्त कर सिम्स के संविदा पद से हटाए गए पीडि़त कर्मचारियों ने डीन के वाहन के सामने लेट कर प्रदर्शन किया और ज्ञाप सौंपा।
गौरतलब है सिम्स के 4 सौ कर्मचारी काम बंद कर वेतन वृद्धि की मांग को लेकर 22 दिनों से अनिश्चित कालीन हड़ताल में बैठे है । कर्मचारियों के हड़ताल में बैठने शायद सिम्स प्रबंधन को कुछ फर्क नही पड़ रहा है। वहीं सिम्स में वार्ड बॉय , सोशल वर्कर , लैब टेक्नीशियन , अटेंडर सहित अन्य कार्य में ठेकेदार के कर्मचारी निभा रहे हैं । और डीन , प्रबंधन बेखबर हैं , वहीं दूसरी ओर सिम्स हड़ताली कर्मचारियों की मांगों पर पानी फेरने का काम वर्ष 2013-14 में हुई फर्जी भर्ती के दौरान सिम्स से निकाले गए संविदा कर्मचारी कर रहे है। आज इन लोगों ने सिम्स हड़ताली कर्मचारियों की मांगें पूरी नही करने , डीन तृप्ति नागोरिया के वाहन के सानमे लेट कर प्रदर्शन कर उन्हें ज्ञापन सौंपा ।
डीन को ज्ञापन सौपने पहुंचे सिम्स से निकाले गये कर्मचारियों ने बताया कि 2013-14 में सिम्स चिकित्सालय बिलासपुर में तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के लगभग 400 पदों पर नियमित भर्ती की गई थी। इस भर्ती में तत्कालीन डीन तथा प्रबंधन द्वारा बड़ा फर्जीवाड़ा एवं धांधली का खेल खेला गया था और इस दौरा किया सिम्स में 15 -16 वर्षों से संविदा पद पर पदस्त 50-60 कर्मचारियों को अचानक निकाल दिया । जिनके समक्ष रोजागार छीन जाने के साथ साथ परिवार के भरण पोषण की समस्या उतपन हो गई। पीडि़त कर्मचारियों के शिकायत उपरांत लोक आयोग रायपुर , एस.आई.टी. एवं आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरों में जांच लंबित है। सिम्स के कर्मियों द्वारा उच्च न्यायालय में वेतन वृद्धि एवं नियमितिकरण हेतु याचिका दायर किया था, जिसपर उच्च न्यायालय द्वारा चार माह में निराकरण करने विभाग को निर्देशित किया था। लोक आयोग की निर्देश पर पूर्व अधिष्ठाता के द्वारा तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर भर्ती घोटाले से संबंधित जांच कराया गया था। जिसमें स्पष्ट रूप से कर्मचारियों के नाम एवं उनके दस्तावेज में की गई
त्रुटियों सहित भर्ती नियम का उल्लंघन किये जाने व उनके अनियमितता सहित पूरी भर्ती प्रक्रिया को नियम विपरित बताया गया है, इसकी जांच प्रतिवेदन लोक आयोग रायपुर को प्रेषित किया गया है। उक्त जांच प्रतिवेदन की प्रति शिकायतकर्ता को भी प्रदान किया गया है, जिसकी कॉपी संलग्न है।
आगे जानकारी देते हुए बताया कि चिकित्सा शिक्षा विभाग मंत्रालय महानदी, नया रायपुर छ.ग. के द्वारा आदेशित कर दिनांक 16 नवंबर 2017 क्र. एफ 15-58/2017/नौ/55-4 छ.ग. उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत याचिका 3366/2017 में याचिकाकर्ता खेमेंद्र सिंह ध्रुव विरूद्ध छ ग, शासन में अवर सचिव छ.ग. शासन के द्वारा उच्च न्यायालय को जवाब प्रस्तुत किया गया है, किसी भर्ती नियम का पालन नहीं किया गया है और न ही आरक्षण रोस्टर का पालन किया गया है, जिसके कारण भर्ती विवादित है। जिसकी जांच आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो एवं लोकआयोग में लंबित है, जिससे उक्त फर्जी भर्ती कर्मचारियों का नियमितिकरण किया जाना उचित नहीं है। जबकी नियमित नहीं किया जा सकता तो नियम विपरित भर्ती के आधार पर वेतनवृद्धि भी किया जाना न्यायहित में नहीं है और न ही जांच प्रतिवेदन प्राप्त होने तक अनियमित कर्मचारियों का परीविक्षा अवधि समाप्त किया जाना भी अनियमितता की श्रेणी में माना जायेगा।

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