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आकाशगंगा के बीच किसी रहस्यमय स्थान से आ रहे रेडियो सिग्नल

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कैनबरा। ब्रह्मांड में ऐसे कई रहस्य हैं, जिनकी तह तक पहुंचने के लिए वैज्ञानिक लगातार प्रयास कर रहे हैं। इस फेहरिस्त में एक अजीब और रहस्यमय रेडियो सिग्नल भी जुड़ गए हैं, जो आकाशगंगा के केंद्र से आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि इसके जैसा एनर्जी सिग्नल पहले कभी नहीं देखा गया है। यह स्रोत कभी हफ्तों तक रेडियो स्पेक्ट्रम में चमकता है तो कभी अचानक गायब हो जाता है। ऐसा अभी तक किसी भी खगोलीय ऑब्जेक्ट में नहीं देखा गया है और इसलिए माना जा रहा है कि रेडियो इमेजिंग में खोजे जाने वाले नए ऑब्जेक्ट्स की क्लास में शामिल हो।
इस रेडियो सोर्स को एएसकेएपी जे173608.2−321635 नाम दिया गया है। इसे ऑस्ट्रेलिया के आस्ट्रेलियन स्क्वेयर ऐरे पाथफाइंडर (एएसकेएपी) रेडियो टेलिस्कोप की मदद से खोजा गया था। अप्रैल 2019 से अगस्त 2020 के बीच एएसकेएपी सर्वे में यह अजीब सिग्नल 13 बार देखा गया और कुछ हफ्तों से ज्यादा नहीं बना रहा। इसके दिखने या गायब होने का तय समय नहीं है और इससे पहले किसी रेडियो टेलिस्कोप के डेटा में यह नहीं दिखा है। यह एक्स-रे, विजिबल या इन्फ्रारेड टेलिस्कोप्स में भी नहीं दिखा। इसलिए इसकी गुत्थी उलझी हुई है।
शोधकर्ताओं ने पेपर में लिखा है कि पहले के सर्वे में कम द्रव्यमान के सितारे दिखे हैं जो रेडियो एनर्जी में चमकते हों, लेकिन उन्हें एक्स-रेड में डिटेक्ट किया जा सकता है। मरे हुए सितारे जैसे पल्सर तय समय पर स्पिन करते हैं और कुछ घंटों तक इनकी रोशनी धरती पर डिटेक्ट की जाती है, हफ्तों तक नहीं। वहीं, मैग्नेटार में भी एक्स-रे पार्ट होता है जैसे यहां देखने को नहीं मिला है। इनसे मिलता-जुलता ऑब्जेक्ट गैलेक्टिक रेडियो ट्रांजियंट (जीसीआरटी) है जो एक बढ़ता हुआ रेडियो सोर्स होता है। यह चमकता जाता है और फिर कुछ ही घंटे में आकाशगंगा के केंद्र में मरने लगता है। अभी तक ऐसे 3 जीसीआरटी देखे गए हैं और वे सभी इस नए ऑब्जेक्ट से पहले गायब हो जाते हैं।

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