Home मध्य प्रदेश टेंडर से छेडछाड करने वालों को छोड़ा ‎बिजली कंपनी ने छोडा

टेंडर से छेडछाड करने वालों को छोड़ा ‎बिजली कंपनी ने छोडा

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भोपाल । टेंडर से छेडछाड करने वाले अधिकारियों को मप्र मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने छोड ‎दिया है। आउटसोर्स कंपनियों से अगस्त 2021 में नया अनुबंध कर लिया है, लेकिन कंपनी ने उन अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है जिन्होंने टेंडर में छेड़छाड़ की थी और जिनकी वजह से आठ हजार आउटसोर्स कर्मचारियों को अप्रैल से अब तक बोनस नहीं दिया गया। इतना ही नहीं, इससे सरकार और कंपनी की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ा है। वहीं कंपनी ने चार महीने से रोकी बोनस की ढाई करोड़ राशि आठ हजार आउटसोर्स कर्मचारियों को देने की बात मान ली है। यह राशि अगले वेतन के साथ जोड़कर दी जाएगी। यह पूरा मामला मप्र मध्य क्षेत्र बिजली वितरण कंपनी का है, जो भोपाल समेत होशंगाबाद, ग्वालियर संभागों के 16 जिलों में सेवाएं देती हैं। इन जिलों में आउटसोर्स पर 10 हजार से अधिक कर्मचारियों की सेवाएं ली जा रही है। इन्हीं में से आठ हजार को अप्रैल 2021 से बोनस की राशि नहीं दी जा रही है। यह राशि प्रतिमाह आठ सौ से लेकर 1000 रुपये तक मिलनी थी। जबकि पूर्व क्षेत्र और पश्चिम क्षेत्र बिजली कंपनी में काम करने वाले आउटसोर्स कर्मचारियों को यह राशि बराबर भुगतान की जा रही थी। मप्र में तीन बिजली वितरण कंपनियां हैं। तीनों के लिए आउटसोर्स पर कर्मचारी अनुबंधित करने वाला टेंडर का ड्राफ्ट एक सामान तैयार किया था। इसमें स्पष्ट था कि कर्मचारियों को बोनस प्रिंसिपल कंपनी ही देगी। मतलब बिजली कंपनी को ही बोनस की राशि का भुगतान करना था। यही नियम दो प्रमुख कंपनियों पूर्व व पश्चिम क्षेत्र में शुरू से लागू भी है। मध्य क्षेत्र में भी 2018 से लेकर मार्च 2021 तक के टेंडर में लागू था। अप्रैल 2021 से नए टेंडर हुए थे। इस प्रक्रिया के दौरान टेंडर के ड्राफ्ट में मध्य क्षेत्र कंपनी के मानव संसाधन व खरीदी शाखा के मुख्य अधिकारियों ने छेड़छाड़ कर दी। टेंडर से लेकर एग्रीमेंट के दस्तावेजों में बोनस की राशि देने के विषय को उलझा दिया। आउटसोर्स संगठनों के प्रतिनिधियों का कहना है कि अधिकारियों ने कुछ दस्तावेज में लिखा कि आउटसोर्स कंपनियां बोनस की राशि का भुगतान करेंगी लेकिन जो अंतिम अनुबंध किया उसमें बोनस को लेकर स्पष्ट नहीं किया। जबकि दूसरी कंपनियां खुद बोनस का भुगतान करने के लिए तैयार थीं। नियम भी यही था। इस तरह दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर ठेकेदारों को करोड़ों रुपये का फायदा पहुंचाया गया है। इसके कारण आउटसोर्स कर्मचारियों को अभी भी बोनस नहीं मिला है। आरटीआई कार्यकर्ता अजय पाटीदार ने आरोप लगाया कि यह एक तरह का आर्थिक अपराध है। इसकी उच्च स्तरीय जांच कर दो‎शियों पर कार्रवाई होना चा‎हिए।

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