बुरहानपुर प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान संक्रमण के खतरे को लेकर संवेदनशील है। उन्होने चार दिन पूर्व इंदौर में एक सार्वजनिक मंच से लोगों से यह गोहार लगाई थी के बस दो माह और यह खतरा टले फिर सब कुछ मुक्त लेकिन अचानक सरकार का यह फरमान की 1 सितंबर से 6 से 8वीं तक की मीडिल स्कूले खोली जाऐ सरकार के इस फैसले से सभी हैरान है और पालक असंमजस में ऐसा माना जा रहा है कि मौसमी बिमारीयों के बीच कोरोना संक्रमण अपने पैर फैलाकर लोगों को अपनी चपेट में लेगा जिस का प्रभाव बच्चों पर अधिक होगा, लेकिन इसी बीच सरकार का फैसला की 1 सितंबर से मीडिल स्कूल खोले जाऐगे इस फैसले को निजी स्कूल संचालकों के दबाव में लिया गया फैसला माना जा रहा है तथा इस फैसले से बच्चो की जान को खतरा है। म.प्र. सरकार के इस फैसले से मेडिकल एक्सपर्ट भी हैरान है कि जब डब्यलूएचओ इस खतरे की चेतावनी दे चुका है फिर भी मीडिल स्कूल चालू करना सरकार का जल्दबाजी में लिया गया फैसला माना जा रहा है। अभी पूरे प्रदेश में शतप्रतिशत वैक्सीनेशन भी नही हुआ है भला ऐसे में किस प्रकार यह मान लिया जाऐ कि सरकार के इस फैसले से कोई नुकसान नही होगा, संक्रमण की तीसरी लहर को देखते हुए इस त्यौहार सीजऩ में सभी सार्वजनिक आयोजनो पर प्रतिबंध लागू है भला ऐसे में मीडिल स्कूलों को चालू करना कहां कि समझदारी है। सरकार के इस फैसले को लेकर जानकार मान रहे है कि सरकार निजी स्कूल संचालको के दबाव में आकर लिया गया जल्दबाजी का फैसला है। यह विदित है कि निजी स्कूल संचालको के प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री से मिलकर प्रायमरी और मीडिल स्कूल चालू करने की गोहार लगाई थी निजी स्कूल संचालक अभी बच्चो को आनलाईन क्लास चलाकर केवल टयूशन फीस वसूल रहे है, पर 1 से 8 तक स्कूल चालू होने से वह पूरी फीस वसूल करेगे। सरकार ने निजी स्कूल संचालको के फायदे के लिए प्रदेश भर के हजारो बच्चो के जीवन को दाव पर लगा दिया है जिस पर सरकार को विचार करना चाहिए।