जोहार छत्तीसगढ़-रतनपुर।
रतनपुर पुराना बस स्टैंड में बसे प्रसिद्व हाथी किला मे स्थित भगवान जगन्नाथ मदिर में हजारों श्रद्वालुओं ने भगवान जगन्नाथ के दर्शन किये सुबह से ही मंदिर में भगवान के पुजन के बाद भव्य आरती किया गया। रतनपुर का यह प्रसिद्व ऐतिहासिक जगन्नाथ मंदिर का निर्माण राजा कल्याण साय ने 15 वीं शताब्दी में कराया था। मंदिर में भगवान जगन्नाथ स्वामी देवी सुभद्रा एवं भैया बलभद्र की पारंपारिक प्रतिमाएं विराजमान हैं। सभागृह में राजा कल्याण साय की प्रतिमा है। इसके साथ ही मां अन्नापूर्णा हरि विष्णुजी राधाकृष्ण देवी दुर्गा की प्रतिमाएं भी विराजमान है। गर्भगृह में मुख्य प्रतिमाओं के साथ देवी एकादशी एवं सुदर्शन चक्र की भी कलात्मक प्रतिमा विराजित है। जिसके पास एकादशी व्रत का उद्यापन किया जाता है। इस मंदिर में हर साल रथयात्रा महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन यहां से रथयात्रा निकालने की परंपरा नहीं है। लोग परिवार सहित मंदिर पहुंचकर दर्शन पूजन करते हैं और अभीष्ट की कामना करते हैं। रथयात्रा के दिन भगवान जगन्नाथ जी की विशेष पूजा अनुष्ठान कर उन्हें 56 भोग लगाया जाता है जिसमें अंकुरित मूंग जरूर होता है। इसे गजामूंग कहते हैं और यही विशेष प्रसाद माना जाता है। जगन्नाथ मंदिर हाथी कि़ला के भीतर स्थित है। इस किले में लक्ष्मीनारायण मंदिर हनुमान् मंदिर एवं अन्य प्राचीन अवशेष भी है।रथ यात्रा रतनपुर में सालो से चली आ रही परंपरा के अनुसार रथ यात्रा को बनाकर भगवान जगन्नाथ स्वामी करैहापाराएसोनार पारा और बनिया पारा रथ आज भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा बड़े धूमधाम के साथ निकलती है जो पूरे नगर भ्रमण करते हुए जगन्नाथ मंदिर के लिए पहुंचते हैं उसके 11 दिन पश्चात पुन: वापसी होती है जिसे बहुला यात्रा कहा जाता है रतनपुर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा उड़ीसा के पुरी के परंपरा से निकलती है जहां आज भीगे हुए मूंग का भोग लगता है आज मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगी है जो भगवान जगन्नाथ की एक झलक पाने के लिए उत्सुक हैं किला में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर जहां भगवान जगन्नाथ माता सुभद्रा तथा भाई बलभद्र की प्रतिमाएं स्थापित है जिसकी आज सुबह से ही भव्य श्रृंगार करके आरती की गई तथा भक्तों के लिए मंदिर का द्वार खोल दिया गया है जिसमें सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है।