भोपाल । नगर निगम ने शहरभर के खतरनाक मकानों को ढहाने का अभियान 15 जून के बाद शुरू करने का निर्णय लिया था, लेकिन विभिन्न कारणों के चलते यह अभियान अभी भी उलझन में है। कुछ न्यायालयीन मामलों के चलते निगम अधिकारी चर्चा कर इस अभियान को शुरू कर सकते हैं। पहले दौर मेंं अतिखतरनाक और जर्जर मकानों को तोडऩे की शुरुआत होगी। शहर में करीब 242 मकान अति जर्जर श्रेणी में हैं।
राजधानी में सैकड़ों जर्जर मकान हैं लेकिन पिछले पांच सालों से इन जर्जर मकानों का सर्वे नहीं हो पाया है। अब जरा सी बारिश होने पर बिल्डिंग गिरने से हादसा होने का खतरा है। दरअसल, पिछले पांच साल से बारिश से पहले निगम जर्जर मकान के मालिकों को नोटिस जारी करता रहा है, लेकिन विगत दो सालों से कार्रवाई भी नहीं हुई है। निगम कमिश्नर मकान गिरने पर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने के लिए निर्देश देते हैं, लेकिन इस साल यह कवायद भी नहीं हुई है।
100 साल से भी ज्यादा पुरानी इमारतें
पुरानी जर्जर इमारतों के मामले में सबसे ज्यादा इमारतें पुराने शहर के हिस्से में हैं। यहां 100 साल से भी ज्यादा पुरानी इमारतें हैं। पीर गेट, जुमेराती, हमीदिया रोड, चौक बाजार, इकबाल मैदान, इमामी गेट का नाम डेंजर जोन्स में शामिल हैं। यहां सबसे ज्यादा जर्जर इमारतें हैं। सबसे ज्यादा खतरा भी इन्हीं इलाकों में है, क्योंकि ये सभी इलाके बहुत भीड़भाड़ वाले हैं। राजधानी में ऐसे मकानों की संख्या 10-20 नहीं, बल्कि 300 से भी ज्यादा है, जो बुरी तरह जर्जर हैं। हालांकि नगर निगम ने इनमें से 242 मकानों को जर्जर घोषित किया है। इनकी स्थिति अब गिरे-तब गिरे वाली है। कोई हादसा हुआ तो एक दो नहीं, बल्कि कई जानों पर ये जर्जर भवन भारी पड़ सकते हैं।
आठ साल पहले बनी सूची
नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक अब कुछ अतिखतरनाक और जर्जर मकानों को तोड़े जाने को लेकर आला अधिकारियों से चर्चा हुई है। जल्द ही निगम की रिमूवल टीमें कार्रवाई के पहले नोटिस देने की प्रक्रिया शुरू कर देंगी और अतिखतरनाक तथा जर्जर मकानों के हिस्से ढहाए जाएंगे। कुछ स्थानों पर किराएदार-मकान मालिक के विवाद के चलते न्यायालय में मामले दायर किए थे। इसी के चलते कुछ मकानों के खतरनाक हिस्सों को हटाने में निगम के अफसर असमंजस में हैं। बता दें कि मानसून आते ही नगर निगम को इस विगत सालों में हुए हादसों से सबक लेते हुए जर्जर भवनों के खिलाफ कार्रवाई करना शुरू कर देना चाहिए लेकिन अंतिम बार निगम ने नवंबर 2012 की दरमियानी रात सांई नगर में टंकी ढहने के हादसे के बाद जनवरी 2013 में ही शहर में मौजूद जर्जर मकानों की सूची तैयार की थी। अब चार साल बाद भी जर्जर मकानों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इन जर्जर मकानों पर अब तक कार्रवाई न किए जाने को लेकर निगम के जिम्मेदारों का कहना है कि 60 फीसदी मकानों को ढहाने की कार्रवाई इसलिए शुरू नहीं हो पाती कि उन्हें न गिराने के लिए दबाब बनाया जाता है। जबकि 40 फीसदी मकान विवादित संपत्ति की श्रेणी में आते हैं।
जारी की जा रही नोटिश
निगम अधिकारियों के अनुसार मकान मालिकों को नोटिस जारी किया जा रहा है। जो अति जर्जर की श्रेणी में उन पर कार्रवाई करने की तैयारियां चल रही है। नेहरू नगर की एक बिल्डिंग को गिराया जाएगा। इसके लिए दो दिन का समय दिया गया है। इसके अलावा पांच नंबर मार्केट के ऊपर बने तीन मंजिला जर्जर भवन में 30 से ज्यादा परिवार रह रहे हैं। ओल्ड सुभाष नगर में ब्लॉक 35 और 36 जर्जर घोषित किया जा चुका है। यहां करीब 30 परिवार रहते हैं। हमीदिया रोड स्थित नगर निगम की दो मंजिला होटल टूरिस्ट की इमारत जर्जर हो चुकी है। नेहरू नगर में एक इमारत है। जनता क्वाटर्स, धोबी घाट की बिल्डिंग और शाहजहांनाबाद की बिल्डिंग गिराने की तैयारी नगर निगम द्वारा की जा रही है।