भोपाल । प्रदेश में इन दिनों राजनीतिक गलियारों से ज्यादा प्रशासनिक हलकों में चर्चाओं का दौर ज्यादा गर्माया हुआ है। बड़वानी कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा और बड़वानी एडीएम से हटाए आईएएस लोकेश जांगिड़ के बीच विवाद थमने की बजाए आगे बढ़ गया है। एडीएम ने जहां बड़वानी जिले में कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन कंसंट्रेट ज्यादा कीमत पर खरदीने के आरोप लगाए हैं। वहीं अब बड़वानी कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा ने भी पड़ोसी जिलों में हुई खरीदी प्रक्रिया पर सवाल उठा दिए हैं। वर्मा के अनुसार बड़वानी में एक ऑक्सीजन कंसंट्रेट 55 हजार में खरीदा है। जबकि पड़ोसी जिलों में से इससे ज्यादा कीमत पर खरीदा गया है। आईएएस अफसरों के विवाद में पूरी सरकारी खरीदी ही कठघरे में आ गई है।
कोरोना काल में राज्य सरकार ने जिलों को मरीजों की जान बचाने के लिए खरीदी प्रक्रिया का पालन किए बिना ही जरूरी मशीनें एवं दवाएं खरीदने की खुली छूट दे रखी है। इसी छूट के चलते जिलों में जमकर खरीदी की गई। ताजा मामला बड़वानी जिले का आया है। बड़वानी कलेक्टर के बयान से अन्य जिलों की खरीदी प्रक्रिया पर भी सवाल उठना शुरू हो गए हैं। क्योंकि कुछ जिलों में ऑक्सीजन कंसंटै्रट डेढ़ लाख कीमत तक खरीदे। इसी तरह सरकार ने भी कोरोना संक्रमण से मरीजों की जान बचाने के लिए जीवन रक्षक दवाएं एवं उपकरणों की खरीदी की है। इस खरीदी पर शुरू से ही सवाल उठ रहे हैं। अब आईएएस अफसरों के खुलकर मैदान में उतरने के बाद सरकारी खरीदी की सवालों के घेरे में है। हालांकि अभी तक किसी भी जिले में जांच नहीं हुई है। कुछ जिलों में ज्यादा कीमत पर दवाएं एवं उपकरण खरीदने पर सवाल उठे हैं, लेकिन खरीदी करने वाली कमेटी ने जवाब दिए हैं कि उस समय दवाओंं एवं मशीनों की कीमत ज्यादा थी।
सरकार ने साधी चुप्पी
आईएएस अफसरों का विवाद देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है, लेकिन अभी तक सरकार ने इस मामले में कोई ठोस एक्शन नहीं लिया है। नहीं खरीदी में भ्रष्टाचार के जांच के लिए कोई कमेटी गठित की गई है। मंत्रालय में अफसरों का बड़ा खेमा मौन रूप से खरीदी प्रक्रिया पर सवाल जरूर उठा रहा है, लेकिन कोई भी अधिकारी अभी खुलकर सामने नहीं आया है।