मुंगेली,।कलेक्टर अजीत वसंत ने कहा है कि बरसात के मौसम में एवं उसके तत्काल बाद उल्टी, दस्त, आंत्रशोथ, टाइफाइड और पीलिया जैसे जलजनित रोग बढ़ने की सम्भवना रहती है। इन रोगों से बचाव के लिए लोगों को स्वच्छ पेयजल प्रदाय किया जाना और लगातार पेयजल की स्वच्छता की मानीटरिंग करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस संबंध में उन्होने जिले के स्वास्थ्य विभाग लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, जनपद पंचायतो के मुख्य कार्य पालन अधिकारी और नगरीय निकायों के मुख्य नगर पालिका अधिकारियों को परिपत्र जारी कर दिशा-निर्देश दिये है। कलेक्टर श्री वसंत ने जारी दिशा-निर्देश में कहा है कि अक्सर देखा गया है कि नगरीय क्षेत्रों में विशेषकर मलिन बस्तियों में पेयजल की पाइपलाइन न केवल नालियों के भीतर होती है, बल्कि टूटी-फूटी भी होगी है। इसके कारण पेयजल में गंदा पानी मिलने का खतरा बना रहता हैै। बरसात के समय जलजनित रोगों का यह एक बड़ा कारण हैै। उन्होनेे नगरीय निकायो और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए कहा है कि वे सभी शहरी क्षेत्रों में पेयजल पाइपलाइनों का तत्काल निरीक्षण करे और यह सुनिश्चित करें कि पेयजल की पाइपलाइनें छूटी-फूटी न रहें और नालियों के भीतर न हों, यह कार्य जून माह के अंत तक अनिवार्य रूप से पूरा कर लिया जाएं। उन्होने कहा है कि कई बार ट्यूबवेलों में भी गंदा पानी जाने की संभावना होती है। जब इन ट्यूबवेलों से हैंड पंप या पावर पंप के माध्यम से पेयजल निकाला जाता तो वह पानी स्वच्छ नहीं होता और उसे पीने से रोग हो सकते हैं। इसके लिये उन्होने इस लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों को इस माह के अंत तक शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों के सभी ट्यूबवेलों में क्लोरीन डालने की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिये। उन्होने जारी दिशा-निर्देश में कहा है कि कोलीफार्म बैक्टीरिया यदि पेयजल में पाये जाते हैं तो इसका अर्थ होता है कि ऐसा पेयजल पीने योग्य नहीं है। इसलिये पेयजल की लगातार कोलीफार्म बैक्टीरिया के लिये टेस्टिंग की आवश्यकता है। इसके लिये 3 स्थानों से सेंपल लेकर जांच करनी होगी। यह अनिवार्य है कि सभी सेंपलों की लगातार जांच की जाये और यदि किसी सेंपल में कोलीफार्म बैक्टीरिया मिलते हैं तो उस जलस्रोत से पेयजल का प्रदाय तत्काल रोक दिया जाये और सेपल की जांच में कोलीफार्म अनुपस्थित होने पर ही उस स्रोत से पेयजल का प्रदाय दोबारा प्रारंभ किया जाये। उसकी लगातार मॉनीटरिंग करना अनिवार्य है. इसके लिये उन्होने प्रत्येक ट्रीटमेंट प्लांट में, प्रत्येक स्टोरेज टंकी में तथा प्रत्येक मलिन बस्ती में एक रजिस्टर का संधारण करने के निर्देश दिये है।