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स्कूल ड्रेस नाले में बहती मिली, शिक्षा विभाग कर रही मामले की जांच

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कोरबा कोरबा जिला मुख्यालय से लगे ग्राम नकटीखार के पिकनिक स्थल नाले में बच्चों को बांटे जाने वाले यूनिफार्म का गठ्ठा पानी में बहता हुआ स्थानीय युवकों ने देखा। उत्सुकतावश पास जाकर देखा तो सभी कपड़े बिल्कुल नए निकले। शासकीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए शासन की ओर से निशुल्क गणेवश की सुविधा प्रदान की जाती है। ताकि उन्हें निर्धनता के चलते फटे-पुराने कपड़े कम से कम स्कूली शिक्षा की राह में रोड़ा न बन सके। जरूरतमंद वर्ग के बच्चों के लिए शिक्षा की राह प्रशस्त करने शासन की इस महत्वाकांक्षी योजना में विभागीय अमले की लापरवाही बेवहज की मुश्किलें पैदा कर रहीं। गणवेश को समय रहते वितरित नहीं कर पाने की नाकामी छुपाने इस तरह का कदम स्वीकार योग्य नहीं। इस तरह बच्चों के लिए सिला, गए गणवेश को नाले में बहाने की कोशिश कर प्राइमरी व मिडिल के छात्र-छात्राओं के लिए संचालित इस योजना का मजाक बनाया जा रहा, जो किसी भी नजरिए, से उचित नहीं। सरकारी गणवेश की यह गठरी नकटीखार स्थित नाले में पाई गई है।

     जिला शिक्षा अधिकारी सतीश पांडेय का कहना है कि नाले में मिले गणवेश नए तो हैं, पर कम से कम दो साल पहले के हैं। संभवतः वितरण न हो पाने पर कार्रवाई से बचने के लिए ही किसी ने उन्हें नाले में फेंककर छुपाने की कोशिश की होगी। पांडेय ने कहा कि नाले में मिले गणवेश जिला खनिज न्यास मद की राशि के नहीं बल्कि शासन से सीधे तौर पर भेजी गई खेप है। इसका डीएमएफ से लेना-देना नहीं। रायपुर से गणवेश जिले के 118 संकुलों में सीधे आते हैं जहां से स्कूलों को भेज दिए जाते हैं। इस मामले की जांच कर रहे हैं। दोषी पर विभागीय जांच के साथ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा विभाग का कहना है कि जिन संकुलों में गणवेश भेजे जाते हैं, उन्हें प्रत्येक स्कूल तक वितरण का लक्ष्य और समय दिया जाता है। इस तरह अब यह देखना होगा कि संकुलों को भेजे गए गणवेश बंटे या नहीं। कोरबा बीईओ अंतर्गत यह मामला सामने आया है इसलिए शहर से लगे संकुलों से रिकार्ड खंगालने शुरूआत की जाएगी। दिए गए लक्ष्य के अनुरूप जिस संकुल में काम पूरा नहीं होना पाया जाएगा वहां गड़बड़ी पकड़ी जाएगी।

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