रतलाम । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में धान मिलिंग की क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके लिए मिलिंग की बड़ी इकाइयाँ स्थापित की जाएँगी। धान की लाभदायक प्रजातियाँ लगाने और धान में टूटन कम आए, इसके लिए किसानों को प्रशिक्षित भी किया जायेगा। धान के अलावा अन्य लाभदायी फसलें लेने के लिए भी किसानों को प्रेरित किया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में धान मिलिंग पर मंत्रि-मंडलीय उप-समिति की बैठक को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि राज्य शासन के लिए किसानों का हित सर्वोपरि है। धान मिलिंग दरों के संबंध में अंतिम निर्णय मंत्रि-परिषद द्वारा लिया जाएगा। मंत्रालय में आयोजित बैठक में वित्त एवं वाणिज्य कर मंत्री श्री जगदीश देवड़ा, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री बिसाहू लाल सिंह, किसान-कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल, आयुष राज्य मंत्री श्री राम किशोर कांवरे उपस्थित थे। मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस और प्रमुख सचिव खाद्य, नागरिक आपूर्ति श्री फैज अहमद किदवई ने भी बैठक में भाग लिया।बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में धान उत्पादन में प्रतिवर्ष वृद्धि हो रही है। वर्ष 2020-21 में कुल 37.26 लाख मीट्रिक टन धान उपार्जित किया गया। जबकि वर्ष 2017-18 में यह मात्रा केवल 16.60 मीट्रिक टन थी। प्रदेश में कुल 804 मिलर्स हैं। इनमें 396 मिलों की मिलिंग क्षमता चार मीट्रिक टन प्रति घंटा और 392 मिलर्स की मिलिंग क्षमता 4 से 8 मीट्रिक टन प्रतिघंटा है। मात्र 16 इकाईयों की मिलिंग क्षमता 8 मीट्रिक टन प्रति घंटा से अधिक है। प्रदेश की वर्तमान मिलिंग क्षमता 35 हजार मीट्रिक टन प्रतिदिन है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि प्रदेश में अधिक क्षमता की राइस मिलें स्थापित करने के लिए आवश्यक कार्यवाही की जाए।मंत्रि-मंडलीय समिति द्वारा धान की मिलिंग के संबंध में विभिन्न विकल्प प्रस्तुत किए गए। मिलर संघों द्वारा प्रस्तुत चावल परिदान के प्रस्तावों, अन्य धान उत्पादक राज्यों की मिलिंग संबंधी नीति और प्रक्रिया पर भी विचार-विमर्श हुआ। बैठक में मंत्रि-मंडलीय उप-समिति द्वारा चावल परिदान के प्रस्तावित अनुपात, मिलिंग की प्रोत्साहन राशि और अपग्रेडेशन की राशि के संबंध में विकल्प प्रस्तुत किए गए।