भोपाल । खरीफ फसल की बोवनी की तैयारियों में किसान जुट गए हैं और बीज, खाद की खरीदी करने लगे हैं, लेकिन सरकारी बीज अभी तक नहीं आया है। सरकारी बीज सहकारी समितियों से मिलता है, लेकिन अभी तक उनके द्वारा मांग ही नहीं की गई है, जिससे किसान महंगे दामों पर बाजार से अप्रमाणित बीज खरीद रहे हैं।
देश में कोरोना के लगातार बढ़ते संकट के बाद भी खरीफ की फसल की बुवाई तेजी पर है। अगर बात पिछले साल खरीफ की बुवाई से करें तो इस बार रकवा 16.4 फीसदी बढ़ चुका है। पिछले साल 67.8 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुवाई हुई थी। वहीं मप्र में खरीफ फसल की बुवाई की पूरी तैयारी हो चुकी है। पिछले वर्षों में प्राकृतिक आपदा के कारण खराब हुई फसल के कारण बीज का संकट किसानों के सामने खड़ा है। सरकारी बीज की स्थिति यह है कि सरकारी समितियों द्वारा अभी तक मांग ही नहीं भेजी गई है और यदि अब मांग आती भी है तो बीज कब आएका इसका भरोसा नहीं है। मजबूरी में किसान बाजार से 8 से 9 हजार रुपए क्विंटल में बीज खरीद रहे हैं। बाजार में मिलने वाला बीज प्रमाणित भी नहीं है, जिससे कई बार अफलन जैसी स्थिति भी बन जाती है। वहीं उड़द का बीज भी किसानों को आठ हजार रुपए क्ंिवटल में मिल पा रहा है।
बढ़ती जा रही है खेती में लागत
किसान राममिलन ने बताया कि बीज, खाद, डीजल के दाम बढऩे से दिनों-दिन खेती की लागत बढ़ती जा रही है और फसल आएगी या नहीं इसका भी कोई भरोसा नहीं रहता है, क्योंकि प्राकृतिक आपदाओं के चलते पिछले दो वर्षों से खरीफ फसल खराब हो रही है। बाजार में सोयाबीन बीज 9 हजार रुपए क्विंटल में मिल रहा है, जबकि सरकारी बीज के दाम 7500 रुपए क्विंटल है और वह प्रमाणित भी रहता है, लेकिन यह उपलब्ध नहीं है।