नई दिल्ली । भारतीय नौसेना की परमाणु हमला करने में सक्षम एकमात्र पनडुब्बी आईएनएस चक्र रूस लौट गई है। इस पनडुब्बी को रूस से पट्टे पर लिया गया था। सूत्रों ने शुक्रवार को इस बारे में बताया। अकुला श्रेणी के पोत आईएनएस चक्र को 2012 में पट्टे पर रूस से लिया गया था। परमाणु क्षमता से लैस यह दूसरी पनडुब्बी थी जिसे भारत ने रूस से पट्टे पर लिया था। सूत्रों ने बताया कि पट्टे की अवधि खत्म होने का समय आ जाने के कारण यह पनडुब्बी रूस वापस जा रही है। परमाणु क्षमता से संपन्न पहली पनडुब्बी का नाम भी चक्र था। यह पनडुब्बी तत्कालीन सोवियत संघ से 1988 में तीन साल के पट्टे पर ली गई थी। आईएनएस चक्र के रूस वापस जाने की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर आयी हैं। हालांकि इस मामले पर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं बताया गया है। भारत ने 2019 में 10 साल के लिए भारतीय नौसेना को परमाणु क्षमता से लैस पनडुब्बी के लिए रूस के साथ तीन अरब डॉलर का समझाता किया था। इस समझौते के तहत रूस 2025 तक भारतीय नौसेना को अकुला श्रेणी की पनडुब्बी चक्र-तीन सौंपेगा। वहीं, रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना के लिए करीब 43,000 करोड़ रुपये की लागत से छह पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण को मंजूरी दे दी। चीन की तेजी से बढ़ती नोसैन्य क्षमताओं के मद्देनजर भारत की क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। रक्षा खरीद परिषद (डीएएसी) ने परियोजना के लिए अनुरोध पत्र या निविदा जारी करने को मंजूरी दे दी। रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत यह पहली खरीद होगी। आयात पर निर्भरता घटाने के लिए ये पनडुब्बियां उस रणनीतिक साझेदारी के तहत बनाई जाएंगी जो घरेलू रक्षा उपकरण निर्माताओं को विदेशों की रक्षा निर्माण क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों के साथ साझेदारी में अत्याधुनिक सैन्य मंच बनाने की अनुमति देता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय के मुताबिक रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के लिए करीब 6800 करोड़ रुपये की लागत से विभिन्न सैन्य हथियारों और उपकरणों की खरीद संबंधी प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी।