बिलासपुर । जिले की सीमा से लगे एक गांव में जुए का बड़ा फड़ लगता है। फड़ किसी के घर या फार्म हाउस में नही बल्कि मरघट में लगाया जा रहा है। इस फड़ में जुआ खेलने के लिए एंट्री फीस ही 5 सौ रुपए ली जा रही है।
जिले में जुआ-सट्टा का का धंधा बड़े ऑर्गनाइज तरीके से चलाया जा रहा है। कोई अपने घर मे चला रहा है तो कोई फार्म हाउस में चला रहा है। यही नहीं कुछ फड़ जंगल के बीच चलाए जा रहे है। ऑर्गनाइज तरीके से चलाए जा रहे जुए के इन अड्डो में शराब, कबाब की पूरी ब्यवस्था रहती है। पैसे कम पड़ गए तो नालदार नोटों की गड्डियां लेकर बैठे रहते है, जो तत्काल ब्याज पर रकम देने के लिए तैयार रहते है। फड़ चलाने वाला अपनी सुरक्षा के लिए लठैत भी रखते है जिनके हांथों में पूरे समय लाइसेंसी-गैरलाइसेंसी हथियार रहता है। ऐसी बात नही है कि जुए के इन फडों की जानकारी क्षेत्र के थानेदारों को नही होती, उन्हें पूरी जानकारी होती है। रोज कोई न कोई सिपाही फड़ खत्म होने के पहले थाने का हिस्सा लेने के लिए पहुंच ही जाते है।
जुए का फड़ चलाने के मामले में सबसे ज्यादा कुख्यात मस्तूरी थाना क्षेत्र है। जहां आज की तारीख में 70 से अधिक बड़े फड़ चल रहे है। छोटे मोटे चिल्हर फडों का तो कोई हिसाब ही नही है। इन फडों मे ग्राम जोन्धरा का फड़ सबसे अलग है जहां पर नालदार मरघट में फड़ लगता है। यहां पर आसपास कई गांव के जुआरी दांव लगाते तो आते ही है दूसरे जिले के जुआरी भी दांव लगाने के लिए आते है। मरघट में लगने वाले इस फड़ में दर्शकों की भीड़ कम करने के लिए 5 सौ रुपए की एंट्री फीस ली जाती है। इसके बाद भी दोपहर 3 बजे से रात 9 बजे तक चलने वाली फड़ में प्रतिदिन डेढ़ से दो सौ लोगों की एंट्री होती है। इस फड़ में बैठने वाले प्रत्येक जुआरी 50 हजार रुपए से लेकर 3 लाख रुपए लेकर बैठता है। क्षेत्र में चारसीज है कि नालदार की पहुंच पुलिस विभाग के बड़े अधिकारियों तक है। वो सबको भरोसा दिलाता है कि फड़ में पुलिस तो दूर की बात है परिंदा भी पर नही मार सकता। लिहाज जिसको भी निश्चिंत होकर जुआ खेलने है वो जोन्धरा के मरघट में पहुंच जाए, समय याद रखिए दोपहर 2 बजे से लेकर रात 9 बजे तक ज्