भोपाल । प्रदेश के इंदौर जिले के करीब साढ़े छह किसानों को उनकी उपज का करीब 12 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं हो पाया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की सरकारी खरीदी का काम करीब एक पखवाडे पहले ही खत्म हो गया है लेकिन किसनों को भुगतान अभी तक नहीं मिल सका है। इनमें से कुछ किसान तो ऐसे हैं जिनको उपज बेचे एक महीना हो चुका है, लेकिन बैंक खाते में पैसा नहीं आया है। भुगतान रुकने की बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि इनमें से कुछ किसानों के बैंक खाते बंद बताए जा रहे हैं तो कई का खाता नंबर और अन्य जानकारियां गलत हैं। इस कारण इलेक्ट्रानिक पेमेंट आर्डर (इपीओ) असफल हो रहे हैं। बहरहाल जिले के यह किसान सहकारी संस्थाओं के खरीदी केंद्रों पर जाकर भुगतान के लिए परेशान हो रहे हैं, लेकिन उनको संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है। देपालपुर तहसील के मूरखेड़ा गांव के किसान गंगाराम हीरासिंह ने 30 अप्रैल को 90 क्विंटल गेहूं बेचा था। इसकी कीमत 1 लाख 77 हजार 750 रुपये बन रही है, लेकिन अब तक भुगतान नहीं हुआ। पीड़ित किसान ने सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत की है, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। काई गांव के किसान ओमप्रकाश ने सेवा सहकारी संस्था काई में 22 अप्रैल को 31.5 क्विंटल गेहूं बेचा था। उनका आधा पैसा बैंक खाते में आ चुका है, लेकिन आधा अब भी बाकी है। किसान नेता बबलू जाधव ने बताया कि मंडियां बंद होने से पहले ही किसान परेशान हैं। किसानों की सब्जी, फल-फूल, प्याज और लहसुन की उपज भी कहीं खेतों में तो कहीं घर खराब हो रही है। ऐसे समय किसानों को कम से कम गेहूं की उपज का पैसा तो जल्दी मिलना ही चाहिए, अन्यथा वह अपने खर्च कैसे चलाएगा। मध्यप्रदेश सहकारी विपणन संघ के जिला प्रबंधक अर्पित तिवारी के मुताबिक, किसानों के बैंक खातों में तकनीकी खामियों के कारण इपीओ असफल हो रहे हैं। त्रुटिपूर्ण खातों को सुधरवाया जा रहा है। जो खाते बंद हो चुके हैं, उनकी जगह नया बैंक खाता किसान से लिया जा रहा है। इस बारे में खाद्य विभाग की जिला आपूर्ति नियंत्रक मीना मालाकार ने बताया कि अधिकांश भुगतान हो चुका है। जिन किसानों के खातों में त्रुटि है, उन्हें ठीक कराया जा रहा है।