बिलासपुर । एनटीपीसी सीपत क्षेत्र में भीषण गर्मी के दौरान राखड़ उडऩे की समस्या इन दिनों गंभीर रूप ले लेती है। समय-समय पर पानी का छिड़काव किए जाने का निर्देश है, किंतु कार्यस्थल पर लगातार मॉनिटरिंग ना होने के कारण गंभीर लापरवाही आम है उससे अधिक लापरवाही इन दिनों एनटीपीसी प्रभावित ग्राम राक मे देखी जा रही है।
राखड़ डेम के आसपास इन दिनों मेस्सी फर्गुसन कंपनी के ट्रैक्टर दर्जनों की संख्या में चल रहे हैं इन ट्रैक्टरों में नंबर प्लेट नहीं लगी हुई है । इससे यह पता ही नहीं चलता कि यह ट्रैक्टर छत्तीसगढ़ के हैं किस जिले के हैं या राज्य के बाहर कहीं से आए हैं इस संदर्भ में जब राखड़ डैम के नीचे स्थित जेपी एसोसिएट के साइड आफिस से बात की गई तो उन्होंने ट्रैक्टर कांट्रेक्टर लाल मोहम्मद का नंबर दिया। ट्रैक्टर चला रहे ड्राइवरों से बातचीत से यह समझ आया कि उनके साथ कुछ छल हो गया है वे लगातार यह कहते थे कि वह कंपनी की नौकरी कर रहे हैं कंपनी का नाम एनटीपीसी है और हर महीने 8000 रुपए मिलता है। ट्रैक्टर किसका है इस प्रश्न पर वह चुप हो जाते हैं राखड़ डैम के आसपास इन दिनों लगभग 13 ऐसे ट्रैक्टर चल रहे हैं जिन पर कोई भी पंजीयन क्रमांक नहीं लिखा है इस संदर्भ में मस्तूरी एसडीएम ने कहा कि कार्यस्थल पर जांच के लिए तहसीलदार को भेजा जाएगा। जब इसी संदर्भ में एनटीपीसी जनसंपर्क अधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने पहले फोटो के साथ प्रश्नावली की मांग की और कहा कि रविवार होने के कारण जवाब देना कठिन है जबकि क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी ने तुरंत कार्यवाही का आश्वासन दिया असल में एनटीपीसी में इन दिनों कमीशन का खेल जबरदस्त चल रहा है। कंपनी के बहुत सारे काम आउटसोर्सिंग पर दे दिए जाते हैं और एनटीपीसी और अनुबंध करता कंपनी के बीच जो अनुबंध निष्पादित होता है उसकी शर्तों का खुलासा नहीं किया जाता है। कार्यस्थल पर भी इसका प्रदर्शन नहीं होता है राखड़ डैम के आसपास इन दिनों मनमर्जी के समाचार मिल रहे हैं कुछ दिन पूर्व गतौरा पहुंच मार्ग के किसानों ने भी आंदोलन किया था उनका कहना था कि मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क से राखड़ परिवहन होने के कारण पूरा रोड खराब हो गया एनटीपीसी अपना सामाजिक दायित्व नहीं निभाती वही ग्रामीणों पर दबाव बनाने की नियत से राखड़ का परिवहन करने वाले ठेकेदारों ने गतौरा सरपंच के खिलाफ एक नहीं दो-दो थानों में लूट का एफआईआर करा दिया था लगता है कि बाहरी ठेकेदार छत्तीसगढ़ के जनता पर वैसे शासन करना चाहते हैं और एनटीपीसी के अधिकारी ऐसे मामलों में उन ठेकेदारों के साथ खड़े हो जाते हैं जो उन्हें कमीशन देते हैं।