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धान खरीदी के 72 घंटे के भीतर उठाव का अनुबंध, 3 हजार घंटे से अधिक बीत गया उठाव नहीं जिम्मेदार कौन: रविन्द्र राय

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धरमजयगढ़-जोहार छत्तीसगढ़।
छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों की धान खरीदी 1 नंवबर से 31 जनवरी तक बम्फर खरीदी किया न्यूनतम समर्थन मूल्य के आलावा बोनस का प्रवधान किया। कुल 25 सौ रूपये क्विंटन की दर से और प्रति एकड़ 14.80 क्विंटल प्रदेश के मार्कफेड व आदिम जाति कल्याण सेवा समिति के साथ अनुबंध के साथ समिति से अनुबंध राशि सरकार का खरीदी शासन के देखरेख में समिति के माध्यम तथा धान का उठाव खरीदी के 72 घंटे के भीतर लेकिन खरीदी 3 हजार घंटे से अधिक समय होने के बाद भी उठाव नहीं हुआ है। जून माह में बारिश शुरू हो जायेगा। इस माह अंधड़ के साथ बुदा बांदी शुरू हो गया है। धरमजयगढ़ टीएसएस द्वारा जिले के अन्य समितियों की तरह अनुबंध के तहत धरमजयगढ़ मंडी प्रंगाण में तथा उप उपार्जन केन्द्र दुर्गापुर में लगभग 80 हजार क्विंटल शासन के देखरेख में धान खरीदी किया। वहीं मंडी प्रंगाण व दुर्गापुर उपार्जन केन्द्र में शेड न होने के कारण खुले आसमान के नीचे किसानों की उपज को खरीदी कर रखा है। यह बताना लाजिमी होगा की गत वर्ष भी खुले में धान होने के कारण अप्रैल मई में धान धान भींगकर बर्बाद हो गया था। नुकशान का भरपाई कोर्ट द्वारा समिति से न वसूलने का आदेश दरकिनार करते हुए मार्कफेड द्वारा समिति से वासूली किया गया। समिति कमीशन के माध्यम से खरीदी करता है। नुकशान इतना हुआ है कि कमीशन की राशि से एवं मार्केट से उधारी लेकर 24 लाख रूपये जमा करना पड़ा। जिले के लगभग सभी समिति नुकशान से अछूता न रहा। चूके शासन द्वारा समिति के साथ अनुबंध का पालन क्यों नहीं 72 घंटे में उठाने का अनुबंध 3 हजार घंटे से अधिक का समय बीत गया उठाव नहीं हुआ है। धरमजयगढ़ के दोनों समितियों में वर्तमान में 28 हजार क्विंटल धान खुले आसमान के नीचे पड़ा है। अप्रैल मई की तपीश में प्रति बोरा 3-4 किलो धान सुकता आ रहा है। अभी धान का उठाव हो गया तो समिति को 300 क्विंटल सुकती भरना पड़ सकता है। यानि 7 लाख 50 हजार रूपये समिति के कमीशन से काट लिया जावेगा। फड खुले आसमान के नीचे धान होने के कारण तेज बारीश हुई तो धान भीगेगा और खराब भी होगा। इसमें भी नुकशान समिति को उठाना पड़ेगा। यही स्थिति पूरे जिले का है। शासन के देखरेख में अनुबंद के तहत समय अनुसार उठाव नहीं हो रहा है नुकशान होना तय है। जिले के जिम्मेदार अधिकारियों का कर्तव्य है कि धान खराब न हो शासन का नुकशान न हो और समिति को भरपाई न करना पड़े ऐसे उचित कदम उठये जाना अवाश्यक है।

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