नई दिल्ली । गंदे और कटे-फटे नोट ग्राहकों को देने वाले बैंकों को अब तगड़ा जुर्माना भरना पड़ेगा। करंसी चेस्ट में गंदे, कटे-फटे या जाली नोट पहुंचने पर भी पेनाल्टी देनी होगी। 100 रुपये तक की कटी-फटी या गंदी करंसी देने पर नुकसान की राशि के अलावा बैकों को 50 से 100 रुपये प्रति नोट का दंड भरना पड़ेगा। क्लीन नोट पॉलिसी के तहत रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नए दिशा-निर्देश एक अप्रैल से लागू हो गए हैं। आरबीआई के जारी मास्टर सर्कुलर में साफ किया गया है कि दंड के खिलाफ बैंक एक महीने के अंदर अपील कर सकते हैं लेकिन स्टाफ नया होना, अप्रशिक्षित होना, उनमें जानकारी का अभाव, सुधारात्मक उपाय किए गए हैं या किए जाएंगे जैसे तर्कों पर दंड में छूट नहीं मिलेगी। ऐसी अपीलें खारिज कर दी जाएंगी। गाइडलाइन में सेवाओं में समझौता न करने के निर्देश दिए गए हैं। गंदे या कटे-फटे नोट देने के मामले में दंड की वसूली तत्काल की जाएगी। सीसीटीवी खराब होने और बैंक शाखा में कैश स्ट्रांग रूम से बाहर पाए जाने पर भी दंड वसूला जाएगा। गंदे नोटों को छांटने के लिए एनएसएम यानी नोट सार्टिंग मशीनों का उपयोग न करने जैसी हर अनियमितता पर 5000 रुपये का दंड भरना होगा। गलती दोहराने पर यह दोगुना यानी 10 हजार होगा। नकली नोटों की धरपकड़ में बैंकों की मॉनीटरिंग और जिम्मेदारी बढ़ाई गई है। बैंकों के हेड ऑफिस में नकली नोट विजिलेंस सेल बनेगी, जो शाखाओं से आने वाले एक-एक जाली नोट का हिसाब रखेगी। नकली नोटों की सूचना बैंक नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के साथ-साथ फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट यानी एफआईयू को भी देंगे। नकली नोट नष्ट करना या ग्राहक को वापस करना संगीन अपराध माना जाएगा। ऐसा करने वाले स्टाफ की भूमिका संदिग्ध मानी जाएगी और उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।