जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़।
14 नवंबर महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और हमारे भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती है। उनकी जयंती पूरे देश में बाल दिवस के रूप में मनाया जाती है क्योंकि बच्चों के लिए उनका असीम प्यार और स्नेह है। वह एक बदलाव निर्माता थे। ना केवल स्वतंत्रता लड़ाई में बल्कि सामाजिक परिवर्तन में भी उनका बड़ा योगदान था। उन्हें चाचा नेहरू भी कहा जाता था। क्योंकि वे बहुत प्यारे थे और बच्चों के साथ बहुत घुले-मिले थे। कहा जाता है कि वह गुलाब और बच्चों के बहुत शौकीन थे। वह बच्चों के विकास के लिए बेहद चिंतित रहते थे क्योंकि उन्हें विश्वास था कि बच्चे देश के भविष्य हैं। बाल दिवस के अवसर पर धरमजयगढ़ एसडीओपी सुनील नायक व थाना प्रभारी घरघोड़ा कृष्णकांत सिंह नेत्रहीन बच्चों के प्रति स्नेह दिखाते हुए नेत्रहीन बालविद्या मंदिर बैहामुड़ा में बच्चों को मिठाई और चॉकलेट खिलाकर बाल दिवस के इतिहास से व बच्चोंं को उनके भविष्य के बारे में उन्हें जागरूक किया। बाल दिवस का इतिहास भारत में चिल्ड्रंस डे 1956 से मनाया जा रहा हैण् पहले हमारे देश में भी बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता था लेकिन 1964 में पंडित जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद उन्हें श्रद्धांजली देने के लिए उनके जन्म दिवस ;14 नवंबरद्ध को चिल्ड्रंस डे के रूप में मनाया जाने लगाण् नेहरू का कहना थाए बच्चों की देखभाल हमेशा प्यार से करनी चाहिए ताकी वे आगे जाकर एक सफल और जिम्मेदार नागरिक बन सकेंण्