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हिंडाल्को के खिलाफ फिर भड़क रहा आक्रोश … अनापत्ति के बाद भी इस काम के लिए मांगी जा रही अनुमति तीन ग्राम पंचायत में जमीन ना देने का प्रस्ताव पारित

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संजय सारथी की रिपोर्ट
जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़/तमनार
। हिंडाल्को को आबंटित गारे पेलमा 4/4 और 4/5 में अब अंडर ग्राउंड माइंस की जगह अब ओपन कॉस्ट माइंस कर कोयले का उत्पादन करने तैयारी की जा रही है। इससे करीब साढ़े 12 सौ एकड़ में फैला जंगल और इस आदिवासी क्षेत्र की आस्था का प्रतीक मोगरा पाठ का पहाड़ है जिसकी चोटी पर एक तालाब है जो कितनी भी गर्मी में नहीं सूखता है और चोटी पर देवताओं से सम्बंधित कई वाद्य यंत्र होना बताया जाता है और इसे कोई लेकर जा भी नहीं सकता है यहां की मान्यता ही कुछ ऐसी है सब कुछ समाप्त हो जाएगा चारों ओर तबाही ही तबाही का मंजर धूल गुबार के साथ नजर आएगा। कोयले के ओपन कास्ट माइंस के लिए बीते दिवस घने जंगल के पेड़ों की गिनती और मार्किंग का काम किया जा रहा था। भनक लगते ही ग्रामीणों के दल द्वारा पूछे जाने पर जो बात ग्रामीणों को पता चला इससे ग्रामीणों का आक्रोश भड़क गया और इसकी शिकायत ग्रामीणों द्वारा इस आधार पर किया गया कि पहले ही इस बाबत आपत्ति दर्ज की गई है कि इसके लिए प्रभावित गांव से ग्राम सभा अनापत्ति नहीं लिया गया है। जबकि ग्रामीणों द्वारा कोयला उत्पादन या अन्य औद्योगिक घरानों को या आद्योगिक प्रयोजन के लिए हस्तातंरित करने के पहले वनाधिकार अधिनियम 2006 के तहत उन गांव में ग्राम सभा के ग्राम सभा के अनापत्ति के प्रस्ताव की जरूरत होगी। जबकि कंपनी द्वारा बिना ग्राम सभा प्रस्ताव अनापत्ति के ओपन कास्ट माइंस के लिए जंगल की मांग की गई है। इस जंगल को माइंस में तब्दील करने की मात्र कल्पना से ही ग्रामीण सिहर उठ रहे हैं उनमें जबरदस्त आक्रोश है। उनमें इस बात का भी आक्रोश है कि वन विभाग और प्रशासन को भी चाहिए कि ओपन कास्ट माइंस के लिए कम्पनी की मांग को सिरे से खारिज कर पहले अनुसूचित क्षेत्र होने की वजह से ग्राम सभा प्रस्ताव के अनापत्ति की मांग करनी चाहिए। इधर ग्रामीण वनों के विनाश को देखते हुए कलेक्ट्रेट पहुंच कर एक बार फि र ग्राम सभा प्रस्ताव के साथ हिंडाल्को को ओपन कास्ट माइंस के लिए कराए जा रहे काम को तत्काल बन्द करते हुए वन भूमि को आद्योगिक प्रयोजन हेतु हस्तातंरित ना करने की मांग की गई है।
ग्रामीणों का कहना है कि आज पास के क्षेत्र के ग्रामीणों की आजीविका वनोपज पर निर्भर आदिवासियों आस्था के पहाड़ सहित इस घने जंगल मे विभिन्न प्रकार के वन्य जीव है जिनका समूल नाश हो जायेगा और पर्यावरण तो प्रदूषित हो ही जायेगा। कलेक्टर को दिए आवेदन में प्रभावित गांव के पंचायत की ग्राम सभा प्रस्ताव की कॉपी के साथ दिया गया है। मुख्यमंत्री को की गई शिकायत में कोडकेल, सरसमाल, डोंगामहुआ, बालजोर, गारे आदि गांव के लोगों ने जंगल की प्रस्तावित कटाई का विरोध किया है। उनका कहना है कि ग्राम सभाओं में क्षेत्र के 1200 एकड़ वन भूमि हिंडालको को दिए जाने पर आपत्ति जताई है। कंपनी के मुलाजिम और वन विभाग पेड़ों का सर्वे कर रहे हैं। 15 अक्टूबर को लिखित शिकायत में आपत्ति दर्ज कराई गई है। इसके बाद भी मार्किंग और सर्वे का काम जारी है।
आदिवासियों के इतिहास से मोरगापाठ भी इस जंगल का हिस्सा
इतने बड़े जंगल को काटकर कोयला खनन किया जाएगा। जिससे वन्यजीवों का आश्रय स्थल भी बर्बाद हो जाएगा। गांव के चारों ओर कोयला खदान होंगे। ग्रामीणों ने सर्वे कार्य तत्काल रोके जाने की मांग की है।
ईआईए रिपोर्ट की तैयारी
हिंडाल्को इंडस्ट्रीज को सरकार टीओआर जारी कर दिया है। पर्यावरण और फ ॉरेस्ट क्लीयरेंस पाने के लिए अब कंपनी को नए सिरे से प्रक्रिया अपनानी होगी। स्वीकृति के लिए जनसुनवाई करानी होगी। वन भूमि हासिल करने में हिंडाल्को को एड़ी चोटी का जोर लगाना होगा।

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