जोहार छत्तीसगढ़-धरमजयगढ़/कोतबा ।
पत्थलगांव जनपद पंचायत के पीठआमा पंचायत में शौचालय निर्माण में भारी अनियमितता बरती गई है। स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत ग्राम पंचायत के प्रत्येक घर में शासन की ओर से शौचालय निर्माण कर पंचायत खुले में शौच मुक्त ग्राम पंचायत बनाना उदेश्य है। लेकिन इस योजना को अधिकारी और संबंधित ग्राम पंचायत के सरपंच-सचिव कमाई का जरिया बना लिया है। जिसका नतिजा है कि ग्रामीणों के घर में बनाए गये शौचालय उपयोग योग्य निर्माण नहीं किया गया है। जशपुर जिला को स्वच्छता के लिए शासन से पुरस्कार भी मिल चुका है। ग्राम पंचायत पीठाआमा में कुल 392 परिवार निवास करते हैं, शासकीय रिकार्ड के अनुसार पंचायत 299 परिवारों का शौचालय निर्माण किया गया है। अब सवाल उठता है कि जब परिवार संख्या 392 और शौचालय निर्माण 299 किया गया है तो फिर खुले मेंं शौच मुक्त ग्राम पंचायत कैसे बन गया? शासकीय रिकार्ड और हकीकत कुछ और ही बयां करती हैं जब हमारे टीम ने शौचालय की हकीकत जानने के लिए पीठाआमा के ग्रामीणों के घर गये तो दिखा कि शासकीय रिकार्ड में कुछ और हकीकत में कुछ और ही, पंचायत में बहुत सारे घर ऐसे मिले जिसमें पंचायत द्वारा शौचालय निर्माण नहीं किया गया वहीं कुछ घरों में सरपंच-सचिव द्वारा 600 ईंट और आधा ट्रेक्टर से भी कम रेत दे दिया और बोला गया है कि शौचालय निर्माण कर लो ग्रामीणों को इसके आलावा और कुछ नहीं दिया गया। सोचने वाली बात है कि क्या सिर्फ ईंट और रेत से शौचालय निर्माण हो सकता है?
साहब आप ही बताओ कैसे जायें इसमे शौच के लिए
पीठाआमा पंचायत के सुरेश खाखा ने अपना शौचालय दिखाते हुए पूछने लगा कि साहब आप ही बताईये कि ऐसे शौचालय में शौच कैसे करें। सुरेश ने जिस शौचालय को हमारे टीम को दिखाये हैं ठीक उसके बगल में और दो शौचालय और दिखा जिसका भी हाल वैसे हैं जैसे सुरेश खाखा का शौचालय का हाल है। एक भी शौचालय का दरवाजा ठीक नहीं है सभी का दरवाजा अपने आप टूट कर गिर रहा है। वहीं एक शौचालय में सीट नहीं लगा था और दो शौचालय में सेप्टिक टैंक नहीं बना है। ग्रामीणों के लिए पंचायत द्वारा बनाये गये ऐसे शौचालय का क्या मतलब जिसका उपयोग ही न करने बने। यही हाल पूरे पंचायत का शौचालय का है। ग्रामीणों ने बताये कि जब सरपंच-सचिव ठीक से शौचालय बनाये नहीं है तो हम लोगों को शौच करने नाला, जंगल, खेत में तो जाना ही पड़ेगा। वहीं ग्रामीण महिलाओं ने प्रेस को बताये कि शौच के लिए सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को होता है। जंगल की ओर शौच के लिए जाने से कई प्रकार का डर बना रहता है।
उचित जांच होने पर कई जायेंगे जेल
पीठाआमा पंचायत का अगर निर्माण कार्य की सही तरीके से जांच हो तो कई अधिकारी-कर्मचारी व जनप्रतिनिधि जेल का हवा खायेंगे। पंचायत द्वारा जितना भी निर्माण कार्य करवायें गये हैं सभी निर्माण कार्य को ठेके में करवाया गया है ठेकेदार द्वारा घटिया निर्माण किया गया है। पंचायत द्वारा प्रधानमंत्री आवास, शौचालय निर्माण को भी ठेकेदार को ठेका में दे दिया गया है। जबकि शासन के नियमानुसार पंचायत का किसी भी निर्माण कार्य को ठेका पद्धति से नहीं करवाया जा सकता है। ठेका पद्धति से होने के कारण आज 90 प्रतिशत शौचालय उपयोग करने योग्य नहीं है।
मैं अभी नया आया हूं पंचायत के बारे में मुझे कुछ नहीं मालूम कितने शौचालय बने हैं। बहुत सारे शौचालय उपयोग योग्य नहीं है मैं इसका रिपेरिंग के लिए राशि मांग करूंगा।
प्रेमसाय बघेल सचिव ग्राम पंचायत पीठाआमा