Home छत्तीसगढ़ विजयादशमी (दशहरा पर्व) कि हार्दिक शुभकामनाएँ

विजयादशमी (दशहरा पर्व) कि हार्दिक शुभकामनाएँ

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“विजयादशमी”, “दशहरा पर्व” शुद्ध रूप से यह सामाजिक पर्व है। विजयादशमी का अर्थ है, दस पर विजय प्राप्त करना। पांच ज्ञानेंद्रियां, पांच कर्मेंद्रियाँ, इन पर विजय प्राप्त करना अर्थात् मनुष्य इन्हीं इन्द्रियों से बुराई करता है। अतः इंद्रियों को इन्ही दश विषयों से बचाना अर्थात उन पर विजय प्राप्त करने का नाम ही विजया दशमी है। अपनी इंद्रियों को जीतने वाला व्यक्ति संसार को जीत लेता है। ऐसे ही दशहरा का मतलब दस को हराने वाला अर्थात इंद्रियों को काबू में रखने वाला। विजयादशमी पर्व मातृ शक्ति की उपासना का पर्व है।    क्षत्रिय की परिभाषा करते हुए लिखा है कि-     *प्रजानां रक्षणं दानं विद्याध्ययन मेव च।*       *विषयेषु अप्रसक्तिश्च क्षत्रियस्य समासतः।।*     अर्थ:- प्रजा की रक्षा करना, दान करना, यज्ञ करना, स्वाध्याय करना, विषय वासनाओं से सदैव बचके रहना, यह क्षत्रिय के लक्षण बताए गए हैं।      हमारे मध्यकालीन राजा महाराओं के विजयी होने के लिए अनेक प्रकार के विदेशी आक्रांताओं से परास्त हुए हैं।       इसलिए क्षत्रियों को विशेष कर विषय – वासना भोग विलास शराब इत्यादि से दूर रहने का विधान है। जिस देश का राजा और सेना जितने सुरापान करने वाले होंगे देश उतना ही असुरक्षित होगा।        विजयादशमी दशहरा का इतिहास से कोई लेना देना नहीं है। भारत देश में यह एक किंवदंती जुड़ गई कि इस दिन राम ने रावण को मारा था। और तब से रावण जलाने लग गए रामायण को उठा करके देखें तो आश्विन माह में तो माता सीता की खोज शुरू हुई थी। क्योंकि वर्षा ऋतु आने से राम और लक्ष्मण गुफा में निवास कर रहे थे। वर्षा ऋतु समाप्त होते ही सुग्रीव ने माता सीता की खोज करने का वचन दिया था।      *”विजयादशमी पर्व” मातृ शक्ति का पर्व है किसी भी राष्ट्र देश समाज परिवार में मातृ  शक्ति का अपना महत्व है। वर्षा ऋतु होने से राजा महाराजाओं ने अपनी सेना, अपने अस्त्र-शस्त्रों को युद्ध तोपों को वर्षा ऋतु से बचाने के लिए उसको गुफा इत्यादि में सुरक्षित रखते थे। वर्षा ऋतु समाप्त होने के बाद अपने सारे आयुधों को उसमें जंग न लग गया हो इस दृष्टि से निकाल करके उसकी शुद्धि, साफ सफाई उसका नवीनीकरण करते थे। यज्ञ करते थे मिठाई पकवान बना करके उत्सव किया करते थे।*प्रत्येक राष्ट्र में अपनी सेना आयुध शस्त्रों से सुरक्षित होता है। जिनके पास यह नहीं होता वह राष्ट्र अविकसित माना जाता हैं। जब –  जब भी देश पर राष्ट्र पर समाज पर खतरा आता है, तो हम क्षत्रिय शक्ति का प्रयोग करके उन से लोहा लेते हैं।   क्षत्रिय का यह धर्म है, कि समाज में कहीं पर भी अन्याय नहीं हो पाये, उसके रहते कहीं पर अधर्म नहीं होना चाहिए। यदि ऐसा होता है तो क्षत्रियों को मरा हुआ समझा जाता है। उसका अपयश होता है, क्षत्रिय का अपयश ही उसकी मृत्यु है।    *दुर्गा का अर्थ सेना है जो “दुर्ग” अर्थात किले में रहती हैं, वही माँ दुर्गा हैं”।* दुर्गा शक्ति को दिखाने का प्रदर्शित करने का समझाने का एक कला चित्र है। जिसमें ८ हाथ दिखाए जाते हैं। जो आठों हाथ शक्ति से संपन्न होते हैं। राष्ट्र के लिए इन आठों शक्तियों का होना अत्यावश्यक होता है। दुर्गा हमारे कलाकृति की पराकाष्ठा है। जैसे हमारा देश २६ जनवरी और १५ अगस्त को परेड करके सलामी देता है। अपने आयुधों की प्रदर्शनी करता है, पहले यह कार्य विजयादशमी पर हुआ करता था। राजा महाराजाओं ने अपने शक्ति का परीक्षण किया करते थे।     आज हमारे देश में क्षत्रिय शक्ति को और बढ़ाने की आवश्यकता है। देश को महाशक्ति बनाने की आवश्यकता है। चारों ओर से राक्षसी प्रवृतियां देश को मिटाने के लिए लगी हुई है। कोई जनसंख्या बढ़ रहा है, कोई प्रेम के बहाने से अपने धर्म को फैला रहा है, कोई गरीबी अशिक्षा को दूर करने के नाम से धर्म परिवर्तन करा रहा है। कोई शरणार्थी बनकर घुसपैठ करने में लगा हुआ है। कट्टरता उन्माद तथा मानवता की दुहाई देकर बड़े षड्यंत्र के तहत भारत को घेरने में लगे हुए हैं। ऐसे समय में सीमा पर जो सेना है, वही केवल हमारी सैन्य शक्ति है, समझ कर उन को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। अपितु भारत का प्रत्येक निवासी जो सच्चा भारतीय है, जिसके लिए भारत सबसे पहले है। बाकी सब कुछ बाद में है, उन सब को मजबूत होने की आवश्यकता है। उन सबको सदैव तैयार रहने की आवश्यकता है। पता नहीं मातृभूमि को कब किसकी आवश्यकता पड़ जाए।        इसलिए आइए ! अपने शक्ति को अपने गौरव अपने स्वाभिमान को पहचाने भारतीय होने पर गर्व करें। जातिवाद, प्रांतवाद, छुआ – छूत, संप्रदाय वाद, अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, बलात्कार को उखाड़ करके फेंकने का महान संकल्प लें।        *”वीर भोग्या वसुंधरा”*
*आप सभी महानुभावों को विजयादशमी व दशहरा पर्व की बहुत – बहुत शुभकामनाएँ! हम भगवान से आप सबके उत्तम स्वास्थ्य व दीर्घायु होने की कामना करते हैं। आप सदैव स्वस्थ रहें।*
 *इन्हीं शुभकामनाओं के साथ आपका – अपना दैनिक “जोहार छत्तीसगढ़” धरमजयगढ़, जिला – रायगढ़ , (छत्तीसगढ़)

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