जोहार छत्तीसगढ़-लैलूंगा।
प्रदेशवासियों को स्वास्थ्य सुविधा में किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो, स्वास्थ्य सुविधा आसानी से मिल जाए, इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार काई प्रकार के उपाय कर रहे हैं, डॉक्टर विहीन स्वास्थ्य केन्द्र में डॉक्टारों की पदस्थाना लगातार कर रहे हैं। विष्णु सरकार ग्रामीण क्षेत्र में सबसे अधिक डॉक्टर पदस्थ कर रहे हैं इसलिए कि ग्रामीण क्षेत्र में निवास करने वाले गरीब, आदिवासी लोगों को फ्री में ईलाज मिल सके। वहीं विडंबना देखिए आदिवासी बाहुल्य विकासखण्ड लैलूंगा में आज भी ऐसे कई उप स्वास्थ्य केन्द्र हैं जो भवन विहीन है जो उधार की भवन में संचालित हो रहे हैं। आज हम बात करने जा रहे हैं ग्राम पंचायत टुरटुरा का, इस पंचायत में शासन द्वारा दो उप स्वास्थ्य केन्द्र संचालित किया जा रहा है, और दोनों ही उप स्वास्थ्य केन्द्र में स्वास्थ्य कार्यकत्र्ता पदस्थ्य हैं। परंतु एक भी शासकीय भवन नहीं है जिसके कारण एएनएम द्वारा किराया के भवन में अस्पताल संचालित किया जा रहा है। वहीं सरमडेगा के नाम पर संचालित उप स्वास्थ्य केन्द्र बसंतपुर में संचालित किया जा रहा है, सुविधा विहीन कच्चे मकान में स्वास्थ्य कार्यकत्र्ता द्वारा ग्रामीणों का ईलाज किया जा रहा है, शासन द्वारा 100 प्रतिशत संस्थागत प्रसव पर जोर दिया जा रहा है। लेकिन सवाल उठता है कि सुविधा विहीन कच्चे मकान में कैसे 100 प्रतिशत संस्थागत प्रसव हो सकता है? वहीं टुरटुरा पंचायत के टुरटुरा गांव में भी किराए के भवन में उप स्वास्थ्य केन्द्र संचालित किया जा रहा है। स्वास्थ्य कार्यकत्र्ता संतोषी एक्का से बात करने पर उन्होंने बताया कि टुरटुरा में पहले उप स्वास्थ्य केन्द्र भवन था पर जर्जर हो जाने के कारण किराए के भवन में संचालित किया जा रहा है। मैं 2017 से उप स्वास्थ्य केन्द्र टुरटुरा में पदस्थ हूं तब से किराए के भवन में संचालित कर रही हूं।
प्रसव के समय गर्भवती महिलाओं को होती है परेशानी
स्वास्थ्य केन्द्र नहीं होने के कारण सबसे अधिक परेशानियों का सामना गर्भवती महिलाओं को उठाना पड़ता है। शासन द्वारा किसी भी हालत में शत् प्रतिशत संस्थागत प्रसव हो इसके लिए जोर दिया जाता है और गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव पर प्रोत्साहन राशि के रूप में 14 सौ रूपये दिया जाता है, और प्रसव के बाद जच्चा बच्चा को 48 घंटे तक स्वास्थ्य कार्यकत्र्ता की देखरेख में उप स्वास्थ्य केन्द्र में ही रहना होता है। अब सवाल उठता है कि क्या सुविधा विहीन कच्चे मकान में गर्भवती महिला को प्रसव के बाद 48 घंटे रखतेे होंगे? सरमडेगा में पदस्थ स्वास्थ्य कार्यकत्र्ता कमल खाण्डे से जब पूछा गया कि आप संस्थागत प्रसव करवाते है कि नहीं तो उन्होंने बताया कि जिस किराए के भवन में स्वास्थ्य केन्द्र संचालित किया जा रहा है, उसके एक कमरा को प्रसव कक्ष बनाया गया है वहीं पर गर्भवती महिलाओं का प्रसव करवाया जाता है। प्रसव कक्ष में टॉयलेट की सुविधा है कि नहीं पूछने पर बताया कि टॉयलेट की कोई सुविधा नहीं है कच्चा मकान है। फिर सवाल उठता है कि क्या प्रसव कक्ष में टॉयलेट नहीं होने से गर्भवती महिलाओं को परेशानियां नहीं होती है?
* भवन विहीन उपस्वास्थ्य केन्द्र के बारे में जानकारी मांगने पर बीएमओ डॉ. लखन पटेल ने बताया कि ग्राम पंचायत में दो उप स्वास्थ्य केन्द्र संचालित है, सरमडेगा में उप स्वास्थ्य केन्द्र बना ही नहीं है और टुरटुरा में उप स्वास्थ्य केन्द्र भवन था जो जर्जर हो जाने के कारण गांव में स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा गांव में मकान लेकर स्वास्थ्य केन्द्र संचालित किया जा रहा है। टुरटुरा में भवन के लिए स्वीकृत हो गया है थोड़ा विवाद चल रहा था बसंतपुर वाले बसंतपुर में भवन बने और टुरटुरा वाले टुरटुरा में बने बोलकर विवाद हो रहा था लेकिन टुरटुरा के नाम पर भवन स्वीकृत हुआ है, टुरटुरा में उप स्वास्थ्य केन्द्र बनेगा। और बसंतपुर के लिए पीएससी स्वीकृत हो गया है। जब बीएमओ पटेल से पूछा गया कि क्या सरडेगा और टुरटुरा में संचालित हो रहे भवन किराए पर है तो उन्होंने बोला कि हॉ किराए का भवन है परे जब बीएमओ से किराया शासन से दिया जाता है पूछने पर बोला कि इसके बारे में मेरे को पता नहीं है कि किराया कौन देता है।
* ग्राम पंचायत टुरटुरा में दो स्वास्थ्य केन्द्र संचालित है जिसमें टुरटुरा में सिस्टर संतोषी एक्का पदस्थ हैं और सरमडेगा में कमल खाण्डे पदस्थ है और दोनों ही स्वास्थ्य केन्द्र में भवन नहीं है। भवन नहीं होने से ग्रामीणों को परेशानी होता है, साहब लोग बोल रहे थे कि भवन स्वीकृत हो गया है, लेकिन बसंतपुर वाले हमारे उप स्वास्थ्य केन्द्र को अपने ग्राम पंचायत में बनाना चाहते हैं हम नहीं चाहते हैं कि हमारा स्वास्थ्य केन्द्र बसंतपुर में बने।
अहिल्या पैंकरा सरपंच ग्राम पंचायत टुरटुरा