जोहार छत्तीसगढ़-रायगढ़।
रायगढ़ जिले के तमनार ब्लॉक अंतर्गत तमनार से रायगढ़ मुख्य मार्ग पर बने केशलापाठ (पाझर)पुलिया का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त होने के बाद से से सीएसपीजीसीएल के अदानी माइंस से रात में सैकड़ों भारी वाहनों का आवागमन तमनार से देवगढ़ होते हुए घरघोड़ा साइडिंग पर कोयला ले जाया जा रहा है इसके लिए कम क्षमता वाली सिंगल सड़क पर भारी वाहन साईं गोविन्द ट्रांसपोर्ट कम्पनी व अन्य ट्रांसपोर्ट कम्पनीयों द्वारा भारी वाहन चलाया जा रहा है, राम मंदिर चौक (तमनार) से बासनपाली, जरेकेला देवगढ़, झरियापाली, नावापारा चौक (घरघोड़ा) होते हुए रेल्वे साइडिंग मार्ग पर भारी मात्रा में ट्रक,टेलर,हाइवा,डंफर चलाया जा रहा है, बता दें की एकल सड़क मार्ग होने के बाद भी दोनों तरफ से बड़े वाहन रात में धड़ल्ले से दौड़ रहे हे जिससे आए दिन मार्ग में जाम की स्थिति बन रही है वहीं तमनार से घरघोड़ा सड़क पर दुर्घटना की स्थिति भी बन रही है।
जर्जर हो जाएगी पूल और सड़क
यदि इस तरह से लगातार कुछ रात, सैकड़ों की संख्या में लगातार भारी वाहन चलती रही तो यह कम क्षमता की सड़क बहुत जल्द उखड़ जाएगी और पूल कमजोर हो जायेंगे,, इस मामले को लेकर स्थानीय जन प्रतिनिधि भी मौन हैं जो की इनकी निष्क्रियता को दर्शाता है।
पहले हो चुकी हैं कई घटनाएं
इसके पहले जब मिलूपारा से पूंजीपथरा तक मुख्य सड़क के निर्माण और सुधार के लिए भारी वाहन इस सड़क पर वैकल्पिक मार्ग के रूप में चलाई गई रहीं इस दौरान भारी वाहन के कच्चे मकान में घुस जाने की घटना, पूल टूटने से भारी वाहन चालक की मौत समेत कई जानें भी इस सड़क पर गई हैं।
स्थानीय शासन प्रशासन बना धृतराष्ट्र
स्थानीय शासन प्रशासन समेत पंचायत प्रतिनिधि भी इस सड़क के मामले में लापरवाह हो चले हैं जो की किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार कर रहे हैं। किसी भी तरह की दुर्घटना की जिम्मेदारी कौन लेगा यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है!
इस प्रभावित क्षेत्र में सड़क की लड़ाई लम्बी
आपको बता दें की लगभग 20-25 वर्ष के बाद दोबारा यह सड़क पक्की बन पाई थी जो की कुछ महीने पहले क्षेत्र की एकमात्र चलने लायक सड़क रही! कोल बेल्ट प्रभावित ग्राम गारे की सड़क को लेकर जनता का संघर्ष सबको याद है अब इस क्षेत्र की जनता भी इस तरह के सड़क आंदोलन के लिए तैयार रहे यही विकल्प अब इस सड़क के लिए नजर आ रहा है! क्षेत्र में अचानक काफी ज्यादा मात्रा में वाहन चलने से समस्या बढ़ा हुआ है फिर भी शासन-प्रशासन मुकबधीर बना हुआ है कोई भी नेता,अधिकारी सड़क की स्थिति पर ध्यान नहीं दे रहा है। ऐसी स्थिति को देख कर ऐसा प्रतित होता है जैसे शासन-प्रशासन कोल और ट्रांसपोर्टर कम्पनीयों के सिर्फ मोहरे बन कर रह गये हैं। जिला प्रशासन को चाहिए की जल्द से जल्द इस सड़क पर भारी वाहनों को प्रतिबंधित करे जिससे की उक्त एकल सड़क समेत स्थानीय रहवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।