- जोहार छत्तीसगढ़-घरघोड़ा।
मुख्यमंत्री का भेंट मुलाकात कार्यक्रम भले ही धरमजयगढ़ विधानसभा में स्थगित हो चुकी है। फि र भी प्रशासनिक तंत्र के ऊपर सवालिया निशान उठता है। आखिर क्या वजह है मुख्यमंत्री का क्षेत्र में दौरा कार्यक्रम है और खुलेआम बालू माफि या चोरी करते नजर आते हैं। पुलिस प्रशासन वन विभाग एवं राजस्व विभाग को जरा भी भय नहीं मुख्यमंत्री का यह कैसा सांठ-गांठ है कि पुलिस अधिकारी कर्मचारियों को नौकरी जाने का तनिक भी डर नही। सैकड़ों शिकायत के बावजूद भी अनवरत जारी है बालू चोरी का खेल ग्रामीणों की शिकायतों पर कार्रवाई नहीं होना भ्रष्ट तंत्र की पोल खोल सार्वजनिक रूप से सबके सामने उजागर होती है। पुलिस प्रशासन द्वारा अपराध नियंत्रण करने के उद्देश्य से हर चौंक चौवहारे पर हर दिशा में सीसीटीवी कैमरा लगाया गया है। फि र भी बालू माफि याओं के हौसले बुलंद हैं। चौंक से रोजाना बालू से लदा सैकड़ों ट्रेक्टर गुजर रही है। बालू चोरी की सुचना रायगढ़ जिले के सभी बड़े एसडीओपी थानेदार तक जानकारी रखते हैं फि र भी खनिज एक्ट के तरह कड़ी कार्रवाई नहीं होने से ले.देकर मामला सुलटा लिया जाता रहा है। कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति किया जाता रहा है। आखिर क्यों नहीं होती एफ आईआर बालू चोरी करवाने वाले के ऊपर, ट्रेक्टर मालिक से लेकर उन माफियाओं तक कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए जो कानून की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। अपराध को रोकना है तो पुलिस प्रशासन जिम्मेदारी का निर्वहन करें दिखावे की कार्रवाई से पुलिस पर ही सवाल खड़े हो रही है। नाबालिग ट्रेक्टर चालकों से लेकर नाबालिग ग्रामीणों से ट्रेक्टर में बालू भराई का कार्य किया जाता रहा है। उन ग्रामीणों के ऊपर भी कार्रवाई हो जो कुछ पैसों के लिए गांव के भोले-भाले बच्चों को मजदूर बनाकर रात में बालू चारी करने लाते हैं। जबकि कई बार बालू चोरी करते समय दुर्घटना घट चुकी है हाल ही में एक नाबालिग ट्रेक्टर ड्राइवर की मौत भी हो चुकी फि र प्रशासन को इसकी चिंता नहीं हैए आसपास के गांवों में बाहरी ट्रेक्टरों को लाकर रखा जाता है वहीं ट्रेक्टर दिन भर खड़ी रहती है और रात में बालू चारी करने में उपयोग में लिया जाता है। प्रशासनिक अधिकारी चाहें तो एक दिन में बालू चोरी का खेल समाप्त किया जा सकता है। माफि याओं के पुरे सरगना के ऊपर कानून के विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई हो सकती है जिससे उनको जमानत तक नहीं मिल सकता परन्तु यह सब पुलिस की मंशा पर ही संभव है। बिना रोयल्टी के बालू कैसे खनन हो रही है बिना लाइसेंस के नाबालिग फ र्जी दास्तावेज लेकर भारी वाहन कैसे चला सकता है। मुख्यमार्ग में इस तरह के खुलेआम परिवहन कानून का मजाक बना कर आम जन की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। आखिर कब तक राजनीतिक संरक्षण व प्रशासन की पनाह में बालू चोरी का खेल चलता रहेगा। शासन प्रशासन की आंख अब खुलेगी चंद रूपयों के लिए नौकरशाह कब तक भ्रष्टाचार रोटी सेकते रहेंगे, लाखों रुपए की सरकारी राजस्व हानि के लिए जिम्मेदार कौन, आज महंगे दामों पर बालू की मांग है। गरीब जनता कहां से बालू खरीद पायेगा उसकी कमर ही टूट चुकी है मंहगाई में दो नंबर का अवैध रूप से मिलने वाला बालू होने के कारण आमजन को अत्याधिक भाव में बालू को खरीदना पड़ रहा है। इसके लिए जिम्मेदार कौन क्यों प्रशासन की लगाम नहीं है इस अवैध कारोबार पर घरघोड़ा कंचनपुर आमापाली घाट चारपल्ली व बैहामुड़ा घाट वन विभाग के अंतर्गत आता है फि र वहां तक ट्रेक्टर वन सड़क का उपयोग कर कैसे पहुंच रही है। जबकि जंगल से होकर जाने वाले हर ट्रेक्टर पर राजसात की कार्रवाई हो सकती है। लेकिन अभी तक घरघोड़ा वन विभाग की नींद नहीं खुली है। पैसों के लेन-देन ने सायद विभाग हाथ बांध रखे हैं। इसी तरह वन विभाग की कार्यप्रणाली रही तो आने वाले दिनों में ना नदी रहेगी ना ही जंगल वन रक्षक वन क्षेत्र पाल की भूमिका संदेहास्पद है। बालू माफि या प्रशासन के साथ गठजोड़ कर बेफि क्र रूप से बालू का अवैध धंधा चला रहे हैं। आखिर अवैध रूप से चलने वाले इस गोरखधंधे पर कड़ी कार्रवाई कब होगी। राज सात कर कब जेल तक पहुंचेंगे अपराधी।