भोपाल
बैंक अधिकारी बनाकर फोन करते हैं और केवाईसी अपडेट के नाम पर शेयरिंग ऐप डाउनलोड करवा लेते हैं। इसके बाद मोबाइल की स्क्रीन शेयर होने से हर गतिविधि उनको पता चलती है और वे पूरा खाता ही खाली कर देते हैं। आठ माह में शहर में पुलिस के पास ऐसी 50 से अधिक शिकायतें पहुंची हैं, जिनमें लोगों के साथ लाखों की ठगी हुई है।
यूं तो देश में कुछ सालों से केवाईसी अपडेट के नाम पर साइबर ठगोरे लोगों को निशाना बनाते आ रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से ये ठग अब लोगों को बातों में उलझाकर शेयरिंग ऐप जैसे क्विक सपोर्ट डाउनलोड करने का कहते हैं। ये ऐप डाउनलोड होते ही इसकी लिंक पर उन्हें जाने का कहते हैं। लिंक पर जाते ही उनके मोबाइल की हर गतिविधि ठग के मोबाइल की स्क्रीन पर शेयर हो जाती है। उसे पता चल जाता है कि उसके खाते में कितना पैसा है। पहले छोटी रकम निकालते हैं और बैलेंस कटने के बाद आए मैसेज से खाते में कितना पैसा है, पता चल जाता है। इसके बाद एक ही बार में पूरा खाता खाली कर देते हैं। पहले कई बार ज्यादा राशि के चक्कर में खाते में पैसा नहीं होने से ट्रांजेक्शन फेल हो जाते थे और लोग ठगी से बच जाते थे या फिर छोटी-मोटी राशि ही निकलती थी, लेकिन अब पूरा खाता साफ हो जाता है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस तरह के कई शेयरिंग ऐप आ गए हैं, जिनका उपयोग साइबर ठगोरे कर रहे हैं। आठ माह में साइबर सेल और क्राइम ब्रांच के पास इस तरह की 50 से अधिक शिकायतें आई हैं, जिनमें लोगों के साथ लाखों की ठगी हुई है। कुछ में केस दर्ज हुए हैं, बाकी जांच में चल रही हैं।
झारखंड का गिरोह देशभर में कर रहा ठगी
पुलिस सूत्रों के अनुसार केवाईसी अपडेट और इंश्योरेंस पॉलिसी के पैसे दिलवाने के नाम पर झारखंड के एक गांव का गिरोह सक्रिय है, जो देशभर में इस तरह कई लोगों को ठग चुका है। कुछ मामलों में यहां का गिरोह पकड़ाया भी है, लेकिन बताते हैं कि यहां के कुछ गांवों में पूरा गांव ही ठगी में लगा है, जिसके चलते इस तरह की ठगी की घटनाएं लगातार हो रही हैं। पुलिस लोगों को जागरूक करने के लिए समय-समय पर एडवाइजरी भी जारी करती है, लेकिन फिर भी लोग इसका शिकार हो रहे हैं।