भोपाल । बढे हुए दुकान किराए का मामला सात साल बाद भी नहीं सुलझ पाया है। इसके विरोध के भेल के व्यापारियों द्वारा किराया भी जमा नहीं किया जा रहा है। यह मामला साल 2014 से चला आ रहा है जब भेल प्रबंधन ने नई शॉप पॉलिसी की घोषणा की थी। भेल टाउनशिप के व्यापारियों ने मामले पर बीच का रास्ता निकलाने के लिए कई बार भेल प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोला, लेकिन प्रबंधन सात साल बाद भी नई शॉप पॉलिसी की समस्या का निराकरण नहीं कर पा रहा हैं। भेल प्रबंधन के निर्देश पर भेल नगर प्रशासन आए दिन व्यापारियों की दुकानों पर नई शॉप पॉलिसी के तहत पांच गुना से बढ़े हुए किराए के बिल भेज रहा है और व्यापारी विरोध के चलते किराया जमा नहीं कर रहे हैं। इससे भेल को राजस्व का नुकसान भी हो रहा है। गौरतलब है कि भेल टाउनशिप में 1420 दुकानें हैं। साल 2014 में भेल प्रबंधन ने नई शॉप पॉलिसी लागू करते हुए दुकानों का किराया बढ़ा दिया था। तभी से भेल व्यापारी महासंघ विरोध कर रहा है। महासंघ के अध्यक्ष रामबाबू शर्मा का कहना है कि जो व्यापारी एक दुकान का किराया 150 से 5000 तक जमा करते थे, उन दुकानों का किराया 5000 से लेकर 18000 मासिक से भी अधिक कर दिया है। नगर निगम प्रशासन की दुकान किराया दरों से भी अधिक किराया भेल प्रबंधन वसूलना चाह रहा है। भेल प्रबंधन के अधिकारियों से कई बार शिकायत कर चुके हैं और कह चुके हैं कि अब भेल टाउनशिप की आबादी मात्र 25 हजार है, पहले करीब दो लाख हुआ करती थी। आबादी कम होने से भेल टाउनशिप की दुकानें ज्यादा नहीं चलती हैं। ऐसे में बढ़ा हुआ किराया देना व्यवसायियों के लिए मुश्किल है। बीच का रास्ता निकाला जाए। इस पर भेल प्रबंधन कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। भेल नगर प्रशासक का साफ कहना है कि व्यवसायियों को बढ़ा हुआ किराया ही देना पड़ेगा। नहीं तो दुकानों से बेदखली की कार्रवाई के लिए तैयार रहें। उधर व्यापारी भी अपनी जिद पर अडे हुए हैं।