भोपाल । मध्यप्रदेश अफीम उत्पादक राज्य होने के कारण मालवा के बड़े हिस्से से अफीम देशभर में पहुंच रही है। सीमावर्ती राज्य उत्तर प्रदेश और राजस्थान में इसकी आपूर्ति अधिक हो रही है। केमिकल ड्रग्स भी लोगों की पहुंच में हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मध्य प्रदेश में नशे के कारोबार पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है। इस साल जून तक स्मैक, अफीम, गांजा, डोडाचूरा और केमिकल ड्रग्स के 1197 मामले दर्ज किए गए हैं। सबसे अधिक प्रकरण अफीम और गांजा बेचने को लेकर सामने आए हैं। इस साल अभी तक 92 प्रकरण इस मामलेे में दर्ज किए गए हैं जबकि जनवरी से 17 मई तक अफीम के 24 और गांजा के 862 प्रकरण दर्ज किए गए। अधिकांश प्रकरण उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सीमा से सटे क्षेत्रों में दर्ज किए गए हैं।
सूत्रों का कहना है कि तस्कर इन दोनों राज्यों में बड़ी मात्रा में अफीम और गांजा पहुंचा रहे हैं। इसके अलावा डोडाचूरा के 66 मामले सामने आए हैं। इनमें से अधिकांश की खेप इन्हीं दोनों राज्यों में पहुंचाने वाले संपर्कों की जानकारी सामने आई है। इस साल स्मैक के 126 और केमिकल ड्रग्स के 92 प्रकरण दर्ज किए गए हैं। यह स्थिति चिंताजनक इसलिए भी है कि केमिकल ड्रग्स के तस्कर इस नशे का आदी युवाओं को बना रहे हैं। इस साल सिर्फ 92 प्रकरण में ही करीब 55 हजार किलोग्राम केमिकल ड्रग्स पकड़ी गई है। चरस का सिर्फ एक मामला ही दर्ज किया गया है। विभाग पर यह आरोप भी लगते रहे हैं कि अधिकांश मामलों में प्रकरण दर्ज करने से अधिकारी बचते हैं। इस एक्ट में कागजी कार्रवाई इतनी अधिक होती है कि आगे रहकर कार्रवाई नहीं की जाती है। इस मामले में नशे के सौदागरों के साथ मिलीभगत के आरोप भी अनेक अवसरों पर लगते रहे हैं। लोगों का कहना है कि बगैर मिलीभगत के नशे की तस्करी संभव नहीं हैं।