भोपाल । अपनी मांगों के समर्थन में आज प्रदेश के चिकित्सा महाविद्यालयों और स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में कार्यरत नर्सिंग कर्मचारी सामूहिकअवकाश पर है। कर्मचारियों के अवकाश पर रहने से रहने से सरकारी अस्पतालों के वार्ड, ओटी, प्रसूति कक्ष और नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में मरीजों को परेशानी होगी। मप्र नर्सेस एसोसिएशन और प्रांतीय नर्सेस एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो 30 जून से बेमियादी हड़ताल होगी। बता दें कि इसके पहले स्वास्थ्य विभाग अधिकारी कर्मचारी संघ ने छह सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन किया था। मंत्री व अधिकारियों से आश्वासन मिलने के बाद 17 जून को आंदोलन खत्म कर दिया गया था। अब यह गुट आंदोलन में शामिल नहीं है। आंदोलन का भोपाल में सबसे ज्यादा असर हमीदिया और सुल्तानिया अस्पताल पर पड़ेगा। यहां आधे से ज्यादा नर्सिंग कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। हमीदिया में 665 और सुलतानिया अस्पताल में 90 नर्स हैं। प्रांतीय नर्सेस एसोसिएशन की प्रदेश अध्यक्ष मंजू मेश्राम ने कहा कि मांगें नहीं मानी गईं तो 30 जून से बेमियादी हड़ताल करेंगे।
कर्मचारियों की मांगों में कोरोना काल के चलते सभी नर्सों को दो वेतन वृद्धि दी जाएं। कोरोना योद्धाओं के लिए की गई घोषणाओं पर अमल करने, नर्सों की उच्च शिक्षा के लिए उम्र का बंधन हटाने, मेडिकल कॉलेजों में स्वशासी के तहत नियुक्त नर्सों को सातवां वेतनमान 2018 की जगह 2016 से देने, पदोन्नति प्रक्रिया को शुरू करने तथा मेल नर्स की भर्ती तत्काल करने की मांगे शामिल है। उधर, प्रदेशभर में हेल्थ एवं वेलनेस केंद्रों में पदस्थ कम्युनिटी हेल्थ अफसरों (सीएचओ) ने भी आंदोलन की चेतावनी दी है। दिसंबर 2020 में पदस्थ किए गए 1800 सीएचओ ने कहा है कि उन्होंने प्रशिक्षण के बाद परीक्षा भी पास कर ली है, लेकिन अभी तक अभी उन्हें पूरा वेतन-भत्ता नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इनका वेतन 25 हजार तय है। इसके अलावा 15 हजार प्रोत्साहन राशि और इतना ही भत्ता शासन से मिलना है, लेकिन उन्हें सिर्फ 15 हजार प्रोत्साहन राशि और सात हजार भत्ता मिल रहा है। प्रदेश भर के सीएचओ ने अगले महीने से आंदोलन करने की चेतावनी जारी की है।