भोपाल । मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस अफसर लोकेश जांगिड़ को फोन पर धमकी मिलने का मामला सामने आया है। आरोपी ने फोन पर अज्ञात नंबर से कॉल कर छह महीने की छुट्टी पर जाने को कहा है। धमकी मिलने के बाद जांगिड़ ने तत्काल डीजीपी को वाट्सएप और अन्य माध्यम से शिकायत की, लेकिन 12 घंटे बाद भी उन्हें कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला है।
जांगिड़ ने बताया कि फोन करने वाले ने कहा कि तू जानता नहीं है कि तूने किससे पंगा लिया है। अगर तुझे जान प्यारी है, तो मीडिया से बात करना और लिखना बंद कर दो। तू अपने बच्चे की भी खूब फोटो डालता है। कल से छह महीने की छुट्टी पर चले जाओ। जांगिड़ ने बताया कि घटना के बाद डीजीपी को एक इस संबंध के एक शिकायत वाट्सएप और अन्य माध्यम से की है। मैंने उनसे निजी सुरक्षा की भी मांग की है। मामला गंभीर होने के कारण मैंने सीधे डीजीपी को शिकायत की है। लोकल थाने से कोई संपर्क नहीं किया है। हालांकि अभी तक डीजीपी या उनकी तरफ से किसी ने न तो कोई जवाब दिया और न ही संपर्क किया है।
यह है पूरा मामला
मप्र कैडर के आईएएस अफसर लोकेश कुमार जांगिड़ की फील्ड पोस्टिंग के अभी साढ़े 4 साल हुए हैं, लेकिन उनके 8 बार ट्रांसफर हो चुके हैं। यानी औसतन हर 6 माह में उन्हें हटाया गया। 42 दिन पहले राज्य शिक्षा केंद्र के अपर संचालक से बड़वानी अपर कलेक्टर बनाया गया था, लेकिन पिछले सप्ताह उन्हें वापस राज्य शिक्षा केंद्र भेज दिया गया है।
यह कहानी भी बताई जा रही
सूत्रों का कहना है कि लोकेश के बड़वानी से हटाने की वजह प्रशासनिक बताई गई। लेकिन इसके पीछे एक और कहानी सामने आ रही है। उन्होंने कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन कंसट्रेटर की खरीदी में हुए भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया था। उन्हें जब बड़वानी में पदस्थ किया गया था, तब उन्हें जिले का कोविड प्रभारी बनाया गया था। बड़वानी कलेक्टोरेट के अधिकारी बताते हैं कि अप्रैल और मई में शायद ही अपने दफ्तर में बैठे। वे हमेशा फील्ड में रहते थे। बड़वानी में कोरोना महामारी में उपकरणों की खरीदी में भारी हेरफेर हुआ था। 39 हजार के ऑक्सीजन कंसंट्रेटर 60 हजार रुपए में खरीदे गए। इसी कारण उन्हें रातोरात हटवा दिया गया।