Home छत्तीसगढ़ समाजसेवियों एवं जनप्रतिनिधियों के माथे चल रहा जीपीएम जिला

समाजसेवियों एवं जनप्रतिनिधियों के माथे चल रहा जीपीएम जिला

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बिलासपुर । जीपीएम जिला बरसो की मांग की बाद जिला बना जिला बनने के बाद से लोगो को काफी उम्मीदें थी कि अब इस जिले में असमय काल किसी अपने की जान नही जाएगी इस आदिवासी अंचल को समुचित स्वास्थ सुविधाएं मिल पाएगी मगर दुर्भाग्य कहिए कि जिला बनने के डेढ़ साल हो गया मगर वही लचर व्यवस्था आज भी जिले में है . जिला बनने के पहले भी हम बिलासपुर पर आश्रित थे आज भी हम बिलासपुर पर ही आश्रित है ।

उल्लेखनीय है कि संक्रमण के इस भयावह दौर से हम गुजर रहे है और इस पर भी बिलासपुर से आदेश को कॉपी करके जीपीएम जिले पर थोपने का कार्य किया जा रहा है जबकि बिलासपुर जिले औए जीपीएम जिले की भूगौलिक पृष्टभूमि बिल्कुल अलग है . इसके बाद जिला प्रशासन का  तुगलकी फरमान से आम जन में खासा आक्रोश भी व्यात है7 आपको बता दे कि दो विधानसभा से लगने वाले इस जिला कोटा एवं मरवाही दोनों ही विधायक स्वयं स्वास्थ सेवाएं से जुड़े अनुभवी है ऐसे विपरीत समय मे विधायको के मार्गदर्शन से आम जन को लाभ पहुँचाने का कार्य छोड़ स्वास्थ व्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है7 छतीसगढ़ का 28 वा जिला जहाँ सूबे के मुखिया द्वारा जिला तो बनाया गया लेकिन स्वास्थ व्यवस्था जस की तस है जबकि कई मद एवं आवंटन जिले को दिए गए मगर इन मदो का सदुपयोग नही किया गया जिसका परिणाम यह है कि आज जिला स्वास्थ जैसे सुविधाओ के लिए भी दूसरे जिले पर आश्रित है7 महत्वपूर्ण बात यह है कि आज डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी जिले में वेंटिलेटर की सुविधा नही है बताया जाता है कि जिले में 3 वेंटिलेटर तो है मगर वह टेक्निशियन या किस कारण से चालू नही हो पाया यह प्रश्न चिन्ह है . जबकि ऐसे विपरीत समय मे जब असमय लोग काल कलवित होते जा रहे है तब तो प्रशासन को जागना चाहिए और इन बन्द पड़ी मशीनों को सुचारू रूप से चालू करना चाहिए इतना ही नही जिले में न तो सिटी स्कैन की सुविधाएं है ना ही सोनोग्राफी की सुविधा हर छोटी छोटी मूलभूत जरूरतों के लिए आम जन को 100 किलोमीटर दूर बिलासपुर पर निर्भर होंने के लिए मजबूर है7 यह बात कही छुपी हुई नही है कि जिले में आज भी ऑक्सीजन सिलेंडर हो या अन्य किसी स्वास्थ की जरूरत तो लोगो का प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर विश्वास नही रहा इसलिए आम जन सामाजिक संस्थाओं पर अपना विश्वास जता रहे है . चूंकि प्रशासन न तो लोगो को भरोषा दिला पा रहा है ना ही जनजागरूकता है इसलिए आज भी ग्रामीण क्षेत्रो के कई तरह भी भ्रांतिया आज भी व्याप्त है।

लोगो को भोजन से लेकर सूखा राशन स्वास्थ संबधी जरूरतें सामाजिक संघटन द्वारा करवाया जा रहा है जबकि मिली जानकारी अनुसार प्रशासन को सामाजिक सरोकार निश्वार्थ सेवाएं भी नागवार गुजर रही है इसलिए तो प्रशासन इन संघटनो की मदद करना या इनका सहयोग करना छोड़ सामाजिक संघटनो को भी डोमिनेट करने का प्रयास कर रहा है यह बात भी नही नकारी जा सकती अगर यह सामाजिक संस्थाएं जमीनी स्तर पर न होती तो प्रशासन की नाकामियों का भयावह मंजर जिलेवासी के हिस्से ही आता।  हाल ही में जब कोरोना संक्रमण के भयावाह मंजर की शुरुआती दौर था तब ही प्रशासन को अपनी कमर कस लेनी थी मगर इसके बाद भी करोडो रुपये ख़र्च कर अरपा महोत्सव मनाया गया और बाहरी कलाकारों को बुलाकर फूहड़ नित्य का कार्यक्रम कराया गया जबकि ऐसे महोत्सव में क्षेत्रीय कलाकारों को दरकिनार कर दिया गया साथ ही अरपा नदी जिसका अपना धार्मिक महत्व है उस धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम में मंच के अंदर ही खुलेआम मांस भी बेचा गया . आज करोडो रुपये जिस महोत्सव में खर्च हुए उनसे पूछा जाना चाहिए कि अरपा माँ की उदगम स्थली की क्या स्थिति है शायद यह पहली शादी होगी जिसमें दूल्हे ही पता नही था . जिला का करोडो रुपये पानी की तरह बहाया गया और आज बजट की दुहाई देकर प्रशासन खुद मूक दर्शक बना लोगो के मौत का मंजर देख रहा है7 जिले में हो रही इन तमाम घटनाओं पर प्रशासन नींद से नही जाग रहा है बल्कि प्रशासन अपने खास और चहेतों को उपकृत करने का कार्य जोरो पर है बात जिला मुख्यालय की अगर की जाए जिला मुख्यालय स्टेनो जो की काफी संवेदनशील विभाग होता है उस स्टेनो पर भी लगातार प्रश्न चिन्ह लगता आ रहा है जो पहले एसडीएम पेण्ड्रारोड में थे और एक दशक से एक ही कार्यालय में बैठकर अपने अपने नाते रिश्तेदारों को लाभान्वित किया जा रहा था एवं राजनीतिक लोगो से प्रभावित होकर कार्य भी किया जा रहा था जिसकी शिकायत भी कई बार की गई मगर सारे नियम कायदों को ताक में रखते हुए इन्हें जिला मुख्यालय में स्टेनो बना दिया गया जबकि इनसे काफी सीनियर और अनुभवी लोग भी मौजूद है मगर जिनकी छवि विवादों में रही है उन्ही को पुन: स्टेनो बनाया जाना भी समझ से परे नजर आता है7 अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस भयावह दौर में कैसे आमजन को विश्वास में लेकर आमजन के हितों को ध्यान में रखते हुए फैसले लेता है . और जिले की भूगौलिक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए जिले के हित के लिए आगे आता है7

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