कोरबा कोरोना के नए स्वरूप ब्लैक फंगस मिलने के मामले छत्तीसगढ़ में सामने आ चुके हैं इससे लोगों में दहशत व्याप्त है। इस बीच एसईसीएल दीपका क्षेत्र के कोलकर्मी में ब्लैक फंगस के लक्षण पाए गए हैं। ऐहतियात के तौर पर कर्मी को एम्स रायपुर रेफर किया गया है। उक्त कर्मचारी तीन माह पहले कोरोना संक्रमित हुआ था। कोरोना संक्रमण का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. संक्रमण से होने वाली मौतों का आंकड़ा भी बढ़ने लगा है. इस बीच कोरोना के नए रूप ब्लैक फंगस के मामले भी सामने आ रहे हैं। एसईसीएल दीपका एरिया का एक कर्मचारी के भी ब्लैक फंगस के लक्षणों के साथ दंत रोग चिकित्सक डॉ. एन चारी के क्लीनिक पहुंचा था. कर्मचारी को दांतों में दर्द व मसूड़ों में सूजन की समस्या थी. डॉ. चारी ने मरीज के दांतों और मसूड़ों की जांच की. चिकित्सक ने मरीज से पूर्व में होने वाली समस्या के बारे दी में जानकारी ली. जानना चाहा कि वह पहले से इस तरह की कोई बीमारी से ग्रसित तो नहीं था. इस पर मरीज ने बताया कि वह तीन माह पहले कोरोना संक्रमित हुआ था. एसईसीएल के द्वारा उसे इलाज के लिए बाहर रेफर किया गया था. 26 दिन आईसीयू में रहने के बाद स्थिति सामान्य होने पर वापस दीपका आ गया था. हाल ही में दांतों में दर्द और सूजन होने पर वह इलाज कराने आया है. डॉ. चारी ने दंत समस्या और स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मरीज को दवाईयां देने के साथ ओपीजीएक्सरे कराने की सलाह दी. ओपीजी रिपोर्ट आने के बाद पता चला कि दांतों के उपरी सतह की हड्डी 50 से 60 फीसदी तक गला हुआ है. उपरी हिस्से का दांत कमजोर होकर हिल रहा है. सामन्यता इस तरह के लक्षण ब्लैक फंगस में होते हैं. ब्लैक फंगस की आशंका को देखते हुए डॉ. चारी ने कर्मचारी को रायपुर एम्स जाने की सलाह दी, ताकि टेस्टिंग रिपोर्ट आने के बाद मरीज का सही उपचार किया जा सके।