कोलंबो । श्रीलंका में 2019 में ईस्टर संडे पर हुई सिलसिलेवार विस्फोट की घटनाओं में दो पूर्व सुरक्षा अधिकारियों पर भी आपराधिक संलिप्तता का केस चलेगा। श्रीलंका के अटॉर्नी जनरल ने दोनों पूर्व अधिकारियों को 800 आरोपों से आरोपित किया है। उनकी लापरवाही से विस्फोटों में 270 लोगों की जान गई और करीब 500 घायल हुए। मृतकों में 11 भारतीय थे। मामले का आरोप पत्र अटॉर्नी जनरल डापुला डी लिवेरा ने कोलंबो हाईकोर्ट में दाखिल किया है। इसी में दोनों पूर्व अधिकारियों-हेमासिरी फर्नाडो और पुजीत जयसुंदरा के नाम हैं। घटना के समय फर्नाडो रक्षा मंत्रालय में और जयसुंदरा पुलिस प्रमुख थे। आरोप पत्र में दोनों पूर्व अधिकारियों पर आतंकी हमले के अंदेशे वाली खुफिया रिपोर्ट की अनदेखी करने का आरोप है। इन दोनों की लापरवाही के चलते गिरजाघरों और प्रमुख स्थलों में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई थी। इसके चलते देश को बड़ी जनहानि झेलनी पड़ी। घटना में श्रीलंका के इस्लामी अतिवादी संगठन नेशनल तावहीद जमात (एनटीजे) से जुडे़ 9 आत्मघाती हमलावरों ने 3 गिरजाघरों और कई लक्जरी होटलों में विस्फोट किए थे। इसके बाद में हुई जांच में एनटीजे का संबंध अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन आइएस से पाया गया। राष्ट्रपति द्वारा गठित विशेष समिति ने हाल ही में दोनों अधिकारियों- फर्नाडो, जयसुंदरा समेत तत्कालीन कई वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों और तत्कालीन राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेना पर आपराधिक मुकदमे चलाने की संस्तुति की है। हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की तीन सदस्यीय पीठ फर्नाडो और जयसुंदरा पर लगे हत्या और हत्या की कोशिश के आरोपों की सुनवाई करेगी। घटना के बाद सिरिसेना ने जो जांच दल गठित किया था, उसने भी उन्हें रक्षा मंत्री के रूप में लापरवाही बरतने का जिम्मेदार ठहराया था। तत्कालीन राष्ट्रपति सिरिसेना के पास उस समय रक्षा मंत्री का प्रभार भी था। सिरिसेना के आदेश पर ही फर्नाडो और जयसुंदरा की गिरफ्तारी हुई थी। जमानत पर रिहा होने से पहले दोनों पूर्व अधिकारी कई महीने जेल में रहे थे। हाल ही में सार्वजनिक हुई जांच रिपोर्ट में आत्मघाती हमलावरों से पूर्व मुस्लिम मंत्री रिशाद वैदियुद्दीन की नजदीकी की बात भी सामने आई। इस मुस्लिम नेता और उसके भाई को गिरफ्तार किया है।