बिलासपुर । इतनी भयावह स्थिति मैंने पहले कभी नहीं देखी। श्मशान घाटों में शव को जलने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। पूरा तोरवा मुक्तिधाम देह की राख से पट चुका है। चिताएं जलाने तक की जगह नहीं बची। हर कोने में शव जल रहे हैं। चारों तरफ पीपीईकिट, मास्क और ग्लब्स पड़े हैं। जिन्होंने अपनों को खोया उनके परिजनों की चीख सुनाई दे रही है।
इस भयानक मंजर को देख पाना बहुत मुश्किल है। लेकिन बिलासपुर के हमारे अपने लोग इस पीड़ा से न गुजरें इसलिए मैं तोरवा मुक्तिधाम पहुंचा। जो देखा, वह विचलित करने लायक है। इसे पढ़कर बिलासपुर के लोग सुरक्षित और सतर्क रहें। यकीन कीजिए मैंने पहली बार इस पीड़ा को आंखों से देखा। हालात बहुत बुरे हो चुके हैं। जिंदगी को कतार में खड़े होते देखा है लेकिन मृत्यु के बाद अंतिम आग के लिए कतार में घंटों इंतजार करते गुरुवार को देखा। मृत्यु ज्यादा होने के कारण तोरवा मुक्तिधाम में जगह नहीं बची तो राजकिशोर नगर मुक्तिधाम का सहारा लेना पड़ा। दोनों श्मशान घाटों पर कोरोना पीडि़तों का अंतिम संस्कार करने में 20 लोगों की टीम लगी है।
इस टीम का हौसला देखकर मेरा खुद का हौसला दो गुना बढ़ गया। दिन-रात शवों के बीच में रहकर खुद की रक्षा करना कोई इन योद्धाओं से सीखे। ऐसे लोगों को भगवान और हौसला दे। जबे निसाद, जितेंद्र बारले, सनी समुन, भागवत कलसा पीपीई किट में थे। मैंने पूछा, आप कैसे ये सब कर लेते हो, चेहरे पर मुस्कान जरूर थी लेकिन लोगों को अंतिम आग देने का गम था। भागवत बोले- पिछले 14 दिनों से चिताओं की आग के बीच हूं। वैसे तो संक्रमण काल जब से शुरू हुआ तब से इस काम को कर रहा हूं लेकिन अप्रैल में मृत्यु ज्यादा हो रही हैं। जितने शव यहां आए इन्हें देखकर अच्छे-अच्छे लोग घबरा जाएं।
हमें भी घबराहट होती है लेकिन जिन्होंने अपनों को खोया उनकी पीड़ा हमें हौसला देती है, अगर हम इस काम को न करें तो कौन करेगा। इसलिए हर समय मुक्तिधाम पर तैनात हैं, ताकि अंतिम यात्रा तो अच्छे से हो सके। ईश्वर, गुरु, सुमित, रेखा, वरुण संजय साहू ने बताया कि संक्रमण काल में पहली बार एक दिन में इतने अंतिम संस्कार हुए। मैं आप सभी से यह निवेदन और आग्रह करता हूं कि जिन परिवारों ने यह पीड़ा सही है, उन्हें हौसला दीजिए और हर समय सुरक्षित रहने के लिए कोरोना से बचाव के लिए बनाए गए सभी संसाधनों का उपयोग कीजिए। आपकी सतर्कता ही पूरे बिलासपुर की सुरक्षा है।
15 दिन में 201 का अंतिम संस्कार
बता दें कि मुक्तिधामों में अप्रैल के 15 दिनों में 201 शवों का अंतिम संस्कार किया गया है। इनमें 136 बिलासपुर के रहने वाले थे। अन्य दूसरे जिले के निवासी थे। जिनका अंतिम संस्कार शहर में हुआ। 14 दिनों से शवों की संख्या में अचानक बढ़ोतरी हुई है। कर्मचारी लोगों से जल्द अस्थियों को ले जाने का आग्रह कर रहे हैं। ताकि दूसरे शव जलाने के बाद उनकी अस्थियां रखने के लिए जगह मिल सके।