भोपाल । वर्तमान में महाराष्ट्र से उत्तरप्रदेश और बिहार के रहने वाले प्रवासियों की भारी संख्या में वापसी हो रही है। यही वजह है कि उप्र और बिहार जाने वाली ट्रेनें खचाखच चल रही हैं। हालत यह है कि इनके स्लीपर कोच में बैठने की जगह नहीं मिल रही है। वहीं दूसरी तरफ दिल्ली की ओर जाने वाली शताब्दी एक्सप्रेस को कोरोना संक्रमण की वजह से यात्री नहीं मिल रहे हैं। ऐसे प्रवासियों में उत्तर भारत के लोगों की संख्या ज्यादा है। उनका कहना है कि पिछले साल हुए लॉकडाउन के बाद जिन प्रताड़नाओं का सामना हमें करना पड़ा था, वैसे ही दिन फिर आ सकते हैं, इसलिए भलाई अपने गृह नगर लौटने में ही है। मालूम हो कि कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के कारण मुंबई में रहकर छोटा-मोटा काम करने वाले प्रवासी डरे हुए हैं। उन्हें आशंका है कि स्थिति पिछले साल जैसी बन सकती है, इसलिए वे मुंबई से अपने गृह नगर की ओर पलायन करने लगे हैं। प्रवासियों का कहना है कि महाराष्ट्र की सरकार ने पिछले वर्ष हमारी कोई मदद की थी, न इस साल करने वाली है। कभी भी पूर्ण लॉकडाउन लगता सकता है। अभी ट्रेनें चल रही हैं तो थोड़ी दिक्कत में ही घर पहुंच जाएंगे, पिछले साल तो बमुश्किल घर पहुंच पाए थे। फिर वैसे ही हालात न बनें, इसलिए पहले ही जा रहे हैं। भोपाल रेलवे स्टेशन से होकर गोरखपुर जाने वाली ट्रेन कुशीनगर एक्सप्रेस से अपने गृह नगर लौट रहे कुछ प्रवासियों से नवदुनिया ने चर्चा की और वापसी का कारण जाना। उप्र के बस्ती निवासी सुनिता शर्मा का कहना था कि पिछले साल लॉकडाउन के दौरान 40 दिन तक लोगों से मांग-मांग कर पेट भरना पड़ा था। इस साल भी वैसी ही स्थिति न आए, इसलिए घर जा रहे हैं। एक माह पूर्व ही मुंबई वापस गये थे। महाराष्ट्र सरकार ने पिछले साल हमारे लिए कोई व्यवस्था की थी, न अभी कर रही है। हालांकि अभी लॉकडाउन सप्ताह में दो दिन का ही है। इसी तरह की शिकायत एक अन्य मजदूर अशो प्रसाद की भी थी। प्रसाद का कहना था कि मुंबई में पेंट करने का काम करता था। पिछले साल भी काम-धंधा ठप होने से घर आ गया था, लेकिन पांच माह पूर्व मुंबई वापस चला गया। इस बीच काम ढंग से जमा नहीं था और फिर से वही संकट आ खड़ा हुआ है।