बिलासपुर । कोरोना संक्रमण के बीच चल रही संभागीय स्तर नर्सों की भर्ती प्रक्रिया में पेंच फंस गया है। वर्क एक्सपीरिएंस के आधार पर पहले भर्ती की प्रोविजनल लिस्ट में अभ्यर्थियों को 15 नंबर दिए गए, लेकिन मेरिट लिस्ट में उसे जीरो कर दिया गया। इससे चयन भी प्रभावित हो गया। मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। साथ ही निर्देश दिया है कि दस्तावेजों का सत्यापन कर फिर मेरिट लिस्ट जारी की जाए।
दरअसल, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने की ओर से अगस्त 2020 में संभाग स्तर पर नर्सों के 91 रिक्त पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया। इसमें बिलासपुर संभाग के अंतर्गत ही नियुक्ति की जानी थी। पात्र उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता क्चस्ष् नर्सिंग रखी गई। साथ ही समान क्षेत्र में काम करने का अनुभव होने पर बोनस अंक देने की बात कही गई थी। एक साल पर 3 और इससे अधिक होने पर 15 बोनस अंक तक दिया जाना था।
8 से 18 साल का अनुभव था, पर बोनस अंक शून्य मिले
मुंगेली में नर्स का काम कर रहीं रूपाली और अन्य ने भी भर्ती के लिए आवेदन किया। इन सबको 8 साल से लेकर 15 साल तक के काम का अनुभव था। जब पहले प्रोविजनल लिस्ट जारी हुई तो सबको 15 अंक बोनस में मिले। इसके बाद जब मेरिट लिस्ट जारी हुई तो सभी के नंबरों को शून्य कर दिया गया। इससे सभी का चयन भी प्रभावित हो गया। इसके बाद सभी ने मिलकर एडवोकेट अच्युत तिवारी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इसे चुनौती दी।
बिना कारण बताए दावा आपत्ति निरस्त
याचिका में कहा गया कि विभाग ने बोनस अंक देकर बाद में इसे बिना वजह वापस कर दिया। इसके बारे में दावा आपत्ति भी पेश की गई, लेकिन उसे बिना कारण बताए निरस्त कर दिया गया। जस्टिस पी सेम कोशी ने सुनवाई के बाद नर्स भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाने का आदेश दिया। साथी ही स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए कि उम्मीदवारों के दस्तावेजों का सत्यापन करें। सही मिलने पर बोनस अंक प्रदान करें और नए सिरे से मेरिट लिस्ट जारी की जाए।