नई दिल्ली । कोरोना महामारी के बीच ऑक्सीजन की कमी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई हुई। केंद्र सरकार ने ऑक्सीजन खरीदने और अलग-अलग राज्यों को सप्लाई करने का डिटेल प्लान सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिया है। केंद्र की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन का काफी स्टॉक है। साथ ही बताया कि राजस्थान, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य भी ज्यादा ऑक्सीजन सप्लाई की मांग कर रहे हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि देशभर में ऑक्सीजन सप्लाई पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही कहा कि ऑक्सीजन का ऑडिट करवाने और इसके अलॉटमेंट के तरीके पर फिर से विचार करने की जरूरत है। इससे पहले बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि दिल्ली को रोज 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई का प्लान गुरुवार तक बताएं। वहीं दिल्ली सरकार को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की सप्लाई करने के 2 मई के आदेश का पालन नहीं होने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए अवमानना नोटिस जारी किया था। इस नोटिस के खिलाफ केंद्र बुधवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। इसकी तुरंत सुनवाई की मांग पर चीफ जस्टिस एन वी रमना ने जस्टिस डी वाय चंद्रचूड की बेंच को यह मामला सौंप दिया। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के अवमानना नोटिस पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अवमानना का मुकदमा चलाने या अधिकारियों को जेल में डालने से ऑक्सीजन नहीं आ जाएगी। ये मुश्किल वक्त है। लोगों की जिंदगी दांव पर है और सभी का सहयोग जरूरी है। इस मुद्दे पर केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के अधिकारी तुरंत एक मीटिंग करें।
केंद्र ने कहा-दिल्ली की मांग जायज नहीं
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की रोज मांग करना जायज नहीं है। मेहता ने बताया कि 4 मई को 585 मीट्रिक टन और 5 मई, दोपहर 12 बजे तक दिल्ली को 351 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी जा चुकी थी। इस पर जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि कोशिश करें कि बुधवार आधी रात तक दिल्ली में 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन पहुंचे।