कोरिया-जोहार छत्तीसगढ़। चिरमिरी क्षेत्र के हल्दीबाड़ी जंगल में पंचवटी पर्वत के ऊंचे चट्टान पर अनूठे ढंग से विराजमान भगवान श्री भोले नाथ का मंदिर अपने दिव्य स्वरूप तथा मनमोहक छटा बिखेरने के कारण क्षेत्र में काफी प्रसिद्ध है। लोग पंचवटी पर्वत हीरागिरी शिव मंदिर के नाम से जानते है, जहाँ कि स्थानीय लोग इसे शिव मंदिर के नाम से भी सम्बोधित करते है। दरअसल इस मंदिर में शिवरात्रि के दिन भव्य मेला लगता है।दीपोत्सव के शुभ अवसर पर एक हजार एक दीपक जलाया गया जो कि समाजिक दृष्टिकोण से सराहनीय पहल कहा जा सकता है। इस दौरान शुभ मुहूर्त में मा लक्ष्मी की पूजा अर्चना की गई।
गौरतलब है कि, इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या कम रही। वहीं स्थानीय लोगों के अनुसार 20 वर्षों बाद ऐसा हुआ हैं कि दीपावली के दिन मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या कम रही हो। यहां मंदिर प्रांगण में श्री विघ्नहर्ता भगवान गणेश तथा भगवान शिव के साथ शेषनाग और हनुमान जी की भी प्रतिमा स्थापित है।जिसमें एक अलग ही अलौकिक ऊर्जा का अनुभव होता है। भगवान श्री शिव जी का यह मंदिर ऊंचे पर्वत के घने जंगल के बीच स्थित है।ये मंदिर घने जंगल के बीच तथा चट्टान के ऊपर बने होने से इसकी शोभा देखते ही बनती हैै। यही नहीं जब मंदिर मे लगा विशाल घंट बजता है तो संपूर्ण वन क्षेत्र से नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है और मन एवं चित में आध्यात्म का संचार होता है, पर स्थानीय रहवासियों की माने तो उनके अनुसार भगवान श्री शंकर जी का यहां साक्षात वास है तथा वे अपने द्वार पर आए समस्त भक्तों की इच्छापूर्ति कर आशीर्वाद भी प्रदान करते हैं।
बता दे कि शिव जी की मूर्ती स्वयं भू से 1972 में मिली तथा 1974 में मंदिर का निर्माण हुआ। आज चिरमिरी के पूरे क्षेत्र में पंचवटी पर्वत के नाम से विख्यात हुआ।इस मंदिर से जुड़ी अनेक कथाएं भी प्रचलित है। वही समिति के अध्यक्ष मनोज सिंह ने बताया कि भोले बाबा के दरबार में महा शिवरात्रि को भव्य मेला और भंडारा होता है तथा दूर दूर से लोग आकर श्री शिव जी के दर्शन करके अपनी सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं। माने तो शिव मंदिर ने स्वयं ही विपत्ति में राहगीरों को परेशानियों से बाहर निकाल कर सही सलामत उनके घर पहुंचाने जैसी बातें भी प्रचलित है। बताते है कि कुछ वर्षों पहले इस शिव मंदिर की लीला एक अदभुत प्रमाण मौजूद है ।एक छोटी सी मूर्ती देखते देखते लगभग तीन फीट की हो गई है । लोग सब भोले बाबा की कृपा मानते है।उन्होंने कहा कि ये पंचवटी पर्वत घना जंगल होने के कारण बहुत ही सुशोभित है। उसके बाद से इस मंदिर की अलौकिक शक्तियों और मनमोहक छटा के साथ भक्तों का एक अदृश्य बंधन सा जुड़ गया है। तब से भक्त यहां हर दिन सुबह शाम आते है और सभी सेवक बनकर अपने दायित्वों का निर्वहन करते है। यहां हर श्रद्धालुओं के द्वारा भोग भंडारे का विशाल आयोजन कराया जाता है।वो सम्पूर्ण रहता है। स्थानीय रहवासी बताते हैं की यहां हर महा शिवरात्रि को विशाल मेले का आयोजन किया जाता है।सावन के महीने में भी भक्तों का तांता लगा रहता है।फूल पौधे,कई प्रकार के वृक्षों के कारण अनेक हरे भरे वनों के बीच स्थित भगवान का मंदिर बेहद सुंदर दिखाई देता है। दीपोत्सव कार्यक्रम में प्रमुख रूप से समिति के अध्यक्ष सहित कार्यकर्ता व काफी संख्या में भक्त उपस्थित रहे।